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तेदेपा प्रमुख की लोगों से अपील, आंध्र में अराजकता खत्म करने के लिए एकजुट हों

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश में विपक्ष के नेता एन. चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को लोगों से राज्य में अराजकता खत्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है

तेदेपा प्रमुख की लोगों से अपील, आंध्र में अराजकता खत्म करने के लिए एकजुट हों
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अमरावती। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश में विपक्ष के नेता एन. चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को लोगों से राज्य में अराजकता खत्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। नायडू ने संविधान दिवस के मौके पर आंध्र प्रदेश की जनता के नाम एक खुला पत्र लिखा है। रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की जनता को संविधान दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए वह लोगों को खुला पत्र लिख रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू ने पत्र में लिखा, "हमारा संविधान सभी को स्वतंत्रता और समानता प्रदान करता है। संविधान दिवस के अवसर पर, हम सभी संविधान निमार्ताओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प लें, जिन्होंने हमें दुनिया का सर्वोच्च संविधान दिया है।"

चंद्रबाबू नायडू ने 1949 में संविधान सभा में बीआर अंबेडकर के द्वारा कहे गए शब्दों दोहराते हुए कहा कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे लागू करने वाला शासक लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो इसके बुरे परिणाम सामने आएंगे। संविधान कितना भी बुरा हो, अगर उसे लागू करने वाला शासक अच्छा है तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

नायडू ने कहा कि बी.आर. अंबेडकर ने उस दिन मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी जैसे नेताओं के बारे में भविष्यवाणी की होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि आज आंध्र प्रदेश में संविधान की भावना के खिलाफ शासन किया जा रहा है। जगन रेड्डी एक लोकतांत्रिक देश में तानाशाही के साथ शासन कर रहे हैं।

नायडू ने आरोप लगाया कि लोगों और राजनीतिक दलों को परेशान किया जा रहा है। सत्तापक्ष के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। राजनीतिक दलों को जनता के मुद्दों पर विरोध करने का अधिकार भी नहीं है।

चंद्रबाबू ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, संविधान के मूल्यों को हवा दी जा रही है और कुछ भ्रष्ट अधिकारी कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं। वे भूल गए हैं कि वे लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। यहां तक कि कानून व्यवस्था भी सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के लिए अछूती नहीं है, क्योंकि वे न्यायपालिका के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 42 महीनों में सरकार के खिलाफ अदालतों द्वारा 330 से अधिक फैसले सुनाना जनविरोधी शासन की भावना है। राज्य के इतिहास में कभी भी मुख्य सचिव और डीजीपी सहित कई अधिकारियों को अदालत में पेश नहीं होना पड़ा। इस तरह की स्थिति राज्य के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने लोगों से एकजुट होने की अपील की है और कहा कि यदि एकजुट नहीं हुए तो राज्य का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।


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