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चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था नहीं रही : डीएमके नेता डी.के.एस एलंगोवन

डीएमके के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता टी.के.एस. एलंगोवन सिंगल ने मंगलवार को चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि चुनाव आयोग की मौजूदा कार्यशैली से यह साफ जाहिर हो रहा है कि आज की तारीख में चुनाव आयोग भाजपा का विंग बन चुका है

चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था नहीं रही : डीएमके नेता डी.के.एस एलंगोवन
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टी.के.एस. एलंगोवन सिंगल ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर उठाए सवाल

चेन्नई। डीएमके के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता टी.के.एस. एलंगोवन सिंगल ने मंगलवार को चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि चुनाव आयोग की मौजूदा कार्यशैली से यह साफ जाहिर हो रहा है कि आज की तारीख में चुनाव आयोग भाजपा का विंग बन चुका है। चुनाव आयोग सिर्फ भाजपा के लिए राजनीतिक माहौल को सकारात्मक बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है।

उन्होंने कहा कि पहले लोगों को चुनाव आयोग पर विश्वास होता था। देश के लोगों को ऐसा लगता था कि चुनाव आयोग एक ऐसी संस्था है, जो निष्पक्ष चुनाव कराने में विश्वास करती है। यह संस्था लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन होने से बचाती है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से अपनी संदिग्ध कार्यशैली की वजह से यह आयोग खुद ही सवालों के घेरे में आ चुका है।

सिंगल ने कहा कि मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश की जनता भाजपा की सोच से अवगत हो चुकी है। लोग इस बात को जान चुके हैं कि आखिर भाजपा लोगों के बारे में क्या विचार रखती है, लोकतंत्र को लेकर उनकी क्या राय है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बयान दिया था कि छह महीने में बिहार में डबल इंजन की सरकार गिर जाएगी और इसके बाद एक ऐसी सरकार आएगी, जो गरीबों और पिछड़ों के हितों को लेकर काम करेगी। इस पर सिंगल ने कहा कि इस डबल इंजन की सरकार से समर्थन वापस ले लिया जाए, तो इसका टिकना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा लगातार मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी हुई है।

इसके अलावा, राहुल गांधी के इस बयान पर कि जिन ताकतों ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, अब वही ताकत संविधान की हत्या करने पर उतारू हो चुकी है। इस पर डी.के.एस एलंगोवन सिंगल ने कहा कि यह सच है इन लोगों को संविधान से कोई लेना देना नहीं है। यह लोग लगातार संविधान की अस्मिता पर प्रहार कर रहे हैं। ये लोग अब लोकतंत्र के खिलाफ मोर्चा खोलने पर आमादा हो चुके हैं। लोकतंत्र ने लोगों को अधिकार दिया है कि लोग अपने मन मुताबिक किसी भी धर्म का पालन कर सकते हैं। लेकिन, अब यह लोग समाज पर अपनी सोच थोपने की कोशिश करते हैं। ये लोग लगातार देशवासियों को धोखा दे रहे हैं।

साथ ही, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक अयोग्य नेता करार दिया और कहा कि वे अब अपने देश को ही क्षति पहुंचाने पर आमादा हो चुके हैं। मैं तो कहूंगा कि अमेरिका के लोगों ने अपने लिए एक गलत राष्ट्रपति चुन लिया है। मुझे नहीं लगता है कि अब आगामी दिनों में अमेरिका के लोग इन्हें किसी भी कीमत पर स्वीकार करने वाले हैं। डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश की आर्थिक व्यवस्था को ध्वस्त करने पर उतारू हो चुके हैं। इन सभी स्थितियों को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति को अयोग्य कहना गलत नहीं होगा।


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