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तमिलनाडु: सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री सेंथिल बालाजी मामले में ईडी को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के गिरफ्तार मंत्री वी. सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है

तमिलनाडु: सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री सेंथिल बालाजी मामले में ईडी को नोटिस जारी किया
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के गिरफ्तार मंत्री वी. सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है, जिसमें नौकरियों के लिए कथित नकदी घोटाले के सिलसिले में द्रमुक नेता को हिरासत में लेने के ईडी के अधिकार को बरकरार रखा गया था।

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ मामले की जांच करने के लिए सहमत हुई और याचिकाओं पर ईडी से जवाब मांगा।

ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तारीख तय की।

कपिल सिब्बल द्वारा मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का जिक्र करने के बाद गुरुवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाओं को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बालाजी को कभी भी पुलिस हिरासत में लिया जा सकता है और अगर मामले की तुरंत सुनवाई नहीं की गई तो याचिकाएं बेकार हो जाएंगी।

मंत्री और उनकी पत्‍नी ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सीवी कार्तिकेयन की पीठ का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट के तीसरे न्यायाधीश, जिनके पास मामला भेजा गया था, ने फैसला सुनाया कि केंद्रीय एजेंसी को विधायक को गिरफ्तार करने का अधिकार है। इसमें कहा गया था कि अगर एजेंसी गिरफ्तार कर सकती है तो हिरासत की मांग भी कर सकती है।

ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपने आदेश में हाईकोर्ट द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका भी दायर की है।

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बालाजी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विधायक की पत्‍नी द्वारा दायर याचिका पर एक खंड पीठ द्वारा खंडित फैसला सुनाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की थी।

4 जुलाई को दिए गए खंडित फैसले में न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने मंत्री की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया और उन्हें तत्काल प्रभाव से मुक्त करने का आदेश दिया, जबकि न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने उनकी अवैध हिरासत के सवाल पर मतभेद व्यक्त किया।

गिरफ्तार मंत्री की पत्‍नी एस. मेगाला ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर नौकरी के बदले नकदी घोटाले के सिलसिले में ईडी द्वारा अपने पति की गिरफ्तारी की आलोचना की थी, जो कथित तौर पर 2011 से 2016 तक तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुआ था।

15 जून को पारित एक अंतरिम निर्देश में हाईकोर्ट ने मंत्री को एक सरकारी अस्पताल से एक निजी अस्पताल में भर्ती करने का आदेश दिया था, जहां वह ईडी अधिकारियों की हिरासत में थे। इसे चुनौती देते हुए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।


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