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काशी तमिल संगमम वाराणसी के बाद प्रयागराज पहुंचे तमिलनाडु के छात्र

'काशी तमिल संगमम' में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के छात्रों का एक समूह वाराणसी के बाद प्रयागराज शहर की यात्रा पर गया है

काशी तमिल संगमम वाराणसी के बाद प्रयागराज पहुंचे तमिलनाडु के छात्र
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नई दिल्ली। 'काशी तमिल संगमम' में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के छात्रों का एक समूह वाराणसी के बाद प्रयागराज शहर की यात्रा पर गया है। 'संगम नगरी' के संगम घाट पर पहुंचने पर छात्रों का यह समूह 'हर हर महादेव' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हुए काफी उत्साहित नजर आया और प्रयागराज के स्थानीय निवासियों ने भी उनका तहेदिल से स्वागत किया। गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 'काशी तमिल संगमम्' का आयोजन किया है।

'काशी तमिल संगमम' का आयोजन 17 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक वाराणसी (काशी) में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजना है। कार्यक्रम का उद्देश्य (तमिल एवं काशी) दो क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाने, ज्ञान, संस्कृति और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक दूसरे के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करना है।

तमिलनाडु से पहुंचे इन छात्रों की टोली ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद संगम तट पर स्थित हनुमान जी के दर्शन किए और उसके बाद उन्होंने श्री आदि शंकर विमान मंडपम के भी दर्शन किए।

प्रयागराज के जिला प्रशासन ने यात्रा पर आए तमिलनाडु के छात्रों के प्रतिनिधिमंडल के लिए व्यवस्था की गई थी। जिला प्रशासन के चुनिंदा सदस्य इन छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को प्रयागराज शहर में और उसके आसपास के विभिन्न स्थानों अर्थात - अक्षयवट ('अविनाशी बरगद का पेड़', जो हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित एक पवित्र अंजीर का पेड़ है), चंद्रशेखर आजाद पार्क, प्रयागराज संग्रहालय और श्री स्वामीनारायण मंदिर ले गए। 'संगम नगरी' में अपनी यात्रा के समापन के बाद, तमिलनाडु के छात्रों का यह प्रतिनिधिमंडल प्राचीन और पवित्र शहर अयोध्या के लिए रवाना हुआ।

अयोध्या के लिए रवाना होने के दौरान, छात्रों के इस समूह के सदस्यों में भारी उत्साह देखा गया और उन्होंने विभिन्न भ्रमण स्थलों पर 'सेल्फी' ली। वे देखे गए स्थलों के इतिहास के बारे में भी अधिक से अधिक जानने के इच्छुक थे। जिला प्रशासन ने एक पहल के रूप में, अपनी टीम के उन सदस्यों को चुना जो तमिल भाषा और संस्कृति से परिचित थे, ताकि बातचीत के दौरान किसी भी भाषाई बाधा से बचने के लिए छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को एस्कॉर्ट किया जा सके।


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