तमिलनाडु ने स्कूलों में जातिसूचक कलाई बैंड पर लगाई रोक
तमिलनाडु सरकार ने स्कूलों में किसी प्रकार के जातिगत भेदभाव के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया

चेन्नई। तमिलनाडु सरकार ने स्कूलों में किसी प्रकार के जातिगत भेदभाव के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है। मत्स्य मंत्री डी. जयकुमार ने यह जानकारी दी।
मीडिया में स्कूली छात्रों के जाति का संकेत देने वाले विभिन्न रंगों के कलाई बैंड पहनने पर आई रिपोर्ट पर राज्य के शिक्षा विभाग ने प्रतिक्रिया दी है।
राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल अधिकारियों को इस तरह के कार्यो को रोकने का निर्देश देते हुए एक सर्कुलर जारी किया हैं।
हालांकि, कुछ संगठनों ने इस पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि सर्कुलर छात्रों के बैंड पहनने पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे यह उनकी धार्मिक मान्यताओं में दखल देता है।
छात्र व अन्य मंदिरों में बेचे जाने वाले धागे/बैंड को अपनी कलाई पर बांधते हैं।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए जयकुमार ने बताया कि सरकार जातिगत भेदभाव को रोकने के लिए कार्रवाई कर रही है, धार्मिक मान्यताओं को रोकने के लिए नहीं।
सरकारी सर्कुलर के मुताबिक, 2018 बैच के आईएएस अधिकारी प्रशिक्षुओं ने सरकार के समक्ष एक अर्जी दी है कि तमिलनाडु के कुछ स्कूल अपने छात्रों को रंगीन कलाई बैंड पहनने को कह रहे हैं।
यहां तक कि माथे पर 'तिलक' को भी जातिगत चिन्ह के रूप में माना जाता है।
स्कूल शिक्षा मंत्री के.ए.सेनगोत्तियन के अनुसार, इस मुद्दे पर सरकार के विचार की गलत व्याख्या की गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार जातिगत आधार पर भेदभाव को इजाजत नहीं देगी।
यह भी कहा गया कि प्रभावशाली व्यक्तियों के समर्थन से अपनी जाति की पहचान के तौर पर छात्र खुद रंगीन बैंड पहन रहे हैं।


