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छह विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने पर बात हुई थी: विपक्ष

तीन तलाक विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत हुई थी लेकिन उसने विपक्ष को भरोसे में लिये बिना ही इन विधेयकों को पारित करा दिया

छह विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने पर बात हुई थी: विपक्ष
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नई दिल्ली । राज्यसभा में विपक्ष ने आज कहा कि सूचना का अधिकार और तीन तलाक विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत हुई थी लेकिन उसने विपक्ष को भरोसे में लिये बिना ही इन विधेयकों को पारित करा दिया।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों की बात का संज्ञान लिया है और वह संसदीय कार्यमंत्री तथा सदन के नेता के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे।

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ 23 विधेयकों के बारे में चर्चा की थी और यह पूछा था कि वह किन विधेयकों को प्रवर समिति में भेजना चाहते हैं। विपक्ष ने कहा था कि इनमें से कम से कम आधे विधेयक प्रवर समिति में जाने चाहिए। इस पर सरकार ने कुछ आपत्ति जतायी तो विपक्ष ने उसे 6 विधेयकों को प्राथमिकता के आधार पर प्रवर समिति में भेजने और दो को दूसरी प्राथमिकता में रखने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने उस समय विपक्ष से कहा था कि वह इन 8 विधेयकों के बारे में जल्द ही उन्हें अवगत करायेगी। विपक्ष ने सोचा कि सरकार ने उनकी बात मान ली है। लेकिन सरकार ने विपक्ष को कोई जानकारी नहीं दी।

आजाद ने कहा कि प्राथमिकता वाले छह विधेयकों में तीन तलाक और सूचना का अधिकार दोनों विधेयक शामिल थे और विपक्ष यह मानकर चल रहा था कि सरकार इन्हें प्रवर समिति में भेजेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन विधेयकों के लिए अपने सदस्यों को तो सचेत कर दिया लेकिन विपक्ष को अपनी तैयारी से अवगत कराये बिना इन्हें पारित करा लिया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल असंमजस में ही रह गये। यह सरकार का अनुचित रवैया है।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार के साथ इन छह विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की बात हुई थी लेकिन सरकार ने तीन तलाक विधेयक को अचानक सदन में पेश करने का सोमवार रात निर्णय ले लिया। उन्होंने कहा कि गैर कानूनी गतिविधि से संबंधित विधेयक भी प्रवर समिति में भेजे जाने वाले विधेयकों की सूची में था लेकिन सरकार ने इसे भी आज एजेन्डें में शामिल कर रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास संख्याबल है और वह विधेयकों को पास करा सकती है लेकिन यह संसद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव , माकपा के टी के रंगराजन और द्रमुक के तिरूचि शिवा ने भी इनका समर्थन किया।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सभापति ने खुद ही कहा है कि उनके दो वर्ष के कार्यकाल में दस में से आठ विधेयकों को प्रवर समिति में भेजा गया है । यह एक तथ्य है जो सरकार की मंशा को बताता है।
नायडू ने कहा कि वह इस बारे में नेता सदन और संसदीय कार्यमंत्री के साथ बात करेंगे।


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