तालिबान नहीं देगा पाकिस्तान का साथ
अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है औऱ ये दावा किया जा रहा है कि तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करने में इसलिए ही कामयाब हो सका है क्योंकि उसे पाकिस्तान का समर्थन मिल रहा था. लेकिन जिस उम्मीद में पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा था..पाकिस्तान की उसी उम्मीद को तगड़ा झटका लगा है.क्योंकि अब तालिबान ने पाकिस्तान को आंख दिखाना शुरू कर दिया है.

पाकिस्तान तालिबान की मदद करके अपने मंसूबे कामयाब करने की कोशिश में जुटा था .. पाक चाहता था कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी की समस्या सुलझाने में तालिबान उसकी मदद करे लेकिन पाक की मदद से अफगानिस्तान पर सत्ता काबिज करने वाले तालिबान ने इसे लेकर पाक को ही आंख दिखाना शुरू कर दिया है ... तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने पाकिस्तान से दो टूक कहा है कि टीटीपी , पाकिस्तान की समस्या है...उसे ही खुद सुलझाना होगा न कि अफगानिस्तान को... किसी और देश में शांति को नष्ट करने के लिए अफगान की धरती का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा... ये पाकिस्तान, पाकिस्तानी उलेमाओं और धार्मिक हस्तियों की जिम्मेदारी है, तालिबान की नहीं..इस बयान के साथ ही तालिबान ने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया और किसी भी तरीके से पाकिस्तान का साथ देने से इंकार कर दिया.. आगे मुजाहिद ने कहा कि अगर टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, अफगान तालिबान को अपना नेता मानता है तो उन्हें उनकी बात सुननी होगी, चाहे वे इसे पसंद करें या नहीं..अभी इस बयान पर पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है .. दरअसल, अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पाकिस्तान ने तालिबान से टीटीपी के आतंकियों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा था. अब देखने वाली बात यही है कि क्या वाकई तालिबान पाकिस्तान का साथ देना नहीं चाहता है या फिर ये भी एक साजिश है .


