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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से भारत में ड्राई फ्रूट्स कारोबारियों की चिंता बढ़ी

अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण ने भारत में आयात-निर्यात व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से भारत में ड्राई फ्रूट्स कारोबारियों की चिंता बढ़ी
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नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण ने भारत में आयात-निर्यात व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है - अफगानिस्तान के निर्यात का सबसे बड़ा लाभार्थी - एक ऐसा घटनाक्रम, जिसने व्यापारियों, विशेष रूप से ड्राई फ्रूट्स (सूखे मेवे) का आयात करने वालों को चिंतित कर दिया है। व्यापारियों ने कहा कि भारत के लिए अफगानिस्तान से होने वाले निर्यात में सूखी किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता और सूखी खुबानी शामिल है, जबकि ताजे फलों में खुबानी, चेरी, तरबूज शामिल हैं। इसके अलावा कुछ औषधीय जड़ी बूटियों का निर्यात भी होता है। अफगानिस्तान को भारत की ओर से किए जाने वाले निर्यात में चाय, कॉफी, काली मिर्च और कपास के अलावा खिलौने, जूते और कई अन्य उपभोग्य वस्तुएं शामिल हैं।

अफगानिस्तान से अधिकांश आयात पाकिस्तान के माध्यम से होता है। आयात-निर्यात शिपमेंट वर्तमान में अटके हुए हैं, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हो सकता है, जो बड़ी मात्रा में भुगतान अवरुद्ध भी देख सकते हैं।

दिल्ली के खारी बावली के वर्दुर हर्बल्स के विनीत सेठी ने कहा कि उनकी सूखे मेवों की खेप अटारी (पंजाब में) से आती है, लेकिन इसे डेढ़ महीने पहले ही रोक दिया गया है।

मुंबई से रामको ट्रेडर्स के चिंतित व्यापारी राजेंद्र भाटिया, जो अफगानिस्तान से सूखे मेवे आयात करते हैं, ने कहा, "हम पिछले चार दिनों से उस छोर पर लोगों के संपर्क में नहीं हैं।"

भाटिया ने कहा कि उनकी फर्म सड़क मार्ग से प्रति सप्ताह सूखे मेवों का एक ट्रक आयात करती है और अब उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सेठी और भाटिया की तरह, ऐसे कई व्यापारी हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में कठिनाइयों का सामना किया है। पिछले दो दिनों से माल ढुलाई पूरी तरह से ठप है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय ने आईएएनएस को बताया, "जल्द ही, वे (तालिबान) समीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि तालिबान ने कहा है कि वे इस बात पर गौर करेंगे कि कारोबार प्रभावित न हो। निश्चित नहीं है कि यह कितने समय तक चलेगा, लेकिन अभी की तो यही स्थिति है।"

पूरे भारत में आठ करोड़ व्यापारियों के एक प्रमुख संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा है, जबकि 2019-20 में यह 1.52 अरब अमेरिकी डॉलर था।

2020-21 में भारत से निर्यात 82.6 करोड़ अमरीकी डालर का दर्ज किया गया है और आयात 51 करोड़ अमरीकी डॉलर का रहा है।

भारत का अधिकांश निर्यात या तो अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण व्यापार गलियारे के माध्यम से या दुबई के माध्यम से जाता है (इसलिए) यह सीधे तौर पर प्रभावित नहीं हुआ है। सहाय ने कहा, "लेकिन बढ़ती अनिश्चितता को देखते हुए, जहां भी निर्यातकों के पास डिलीवरी अवधि के लिए समय है, वे शिपमेंट में देरी कर रहे हैं। जब भी उन्हें शिपमेंट करना होता है, तो हम उन्हें क्रेडिट बीमा लेने के लिए सावधान कर रहे हैं, ताकि भुगतान नहीं होने पर भी वे इसके बारे में चिंतित न हों। वे इसके बारे में अनावश्यक रूप से चिंतित न हो, इसलिए उन्हें अपने जोखिम को कवर करना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि व्यापारी यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि बैंकों के लिए किस तरह के निर्देश आ सकते हैं या वहां किस तरह के कारोबार को रोका जा सकता है।

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने घरेलू निर्यातकों को सतर्क रहने और घटनाक्रम पर पैनी नजर रखने की सलाह दी है। उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया कि उसे इसका संज्ञान लेना चाहिए और वित्तीय संकट का सामना करने की स्थिति में व्यापारियों की मदद करनी चाहिए।


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