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अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा, टीटीपी की मिलीभगत से हो रहे तालिबान के हमले

अफगानिस्तान में तालिबान के हमले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य संगठनों के 10,000 से अधिक क्षेत्रीय आतंकवादियों की सीधे मिलीभगत से किए गए हैं

अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा, टीटीपी की मिलीभगत से हो रहे तालिबान के हमले
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नई दिल्ली/काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के हमले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य संगठनों के 10,000 से अधिक क्षेत्रीय आतंकवादियों की सीधे मिलीभगत से किए गए हैं।

हाल के महीनों में अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों और आतंकवादी संगठनों से उनके संबंधों का विवरण देते हुए, अफगान विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने कहा कि आतंकवादी संगठनों में अंसारुल्लाह, जुंदाल्लाह, अल-कायदा, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान (आईएमयू) शामिल हैं।

पड़ोसी देशों, संयुक्त राष्ट्र, नाटो और यूरोपीय संघ के राजदूतों के साथ एक बैठक में, अतमार ने कहा कि तालिबान के युद्ध अपराध अवर्णनीय हैं, जिनमें स्पिन बोल्डक में 100 से अधिक लोगों के नरसंहार, जबरन विवाह, 300 से अधिक सार्वजनिक बुनियादी ढांचों का विनाश और तालिबान नियंत्रित क्षेत्रों में सेवाओं का निलंबन शामिल है।

अतमार ने आगे कहा कि हाल के महीनों में तालिबान के खूनी हमलों में वृद्धि हुई है। हाल ही में किए गए इसके हमलों में तीन हजार से अधिक लोगों की जान गई है और तीन लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। यही नहीं, आतंकी गुट ने देश के आधे जिलों में जरूरी सेवाओं को भी बाधित किया है। वर्तमान में, अफगानिस्तान में 1.8 करोड़ लोग गंभीर मानवीय स्थिति का सामना कर रहे हैं।

अतमार ने कहा कि प्रेस विज्ञप्तियां पर्याप्त नहीं हैं और अंतराष्र्ट्ीय समुदाय को तालिबान को लेकर आगामी दोहा बैठकों में गंभीर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।

अतमार ने वैश्विक समुदाय को यह भी याद दिलाया कि चूंकि अंतराष्र्ट्ीय आतंकवादी तालिबान के साथ लड़ने में व्यस्त हैं, इसलिए चल रहे युद्ध का खतरा केवल अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं है।

उन्होंने कहा कि रणनीतिक बिंदुओं और महानगरों पर सरकार की स्थिति को मजबूत करने के लिए सभी राजनीतिक और सामाजिक स्तरों के समन्वय और समर्थन में अफगान सरकार की सुरक्षा योजना तैयार की जाएगी और जल्द ही लागू की जाएगी।

उन्होंने तालिबान के अपराधों का दस्तावेजीकरण करने और उन्हें दुनिया भर में जवाबदेह ठहराने के लिए अफगान सरकार और मानवाधिकार संगठनों के संयुक्त कार्यक्रम पर भी प्रकाश डाला।

अतमार ने अंतराष्र्ट्ीय समुदाय के साथ सहयोग के चार क्षेत्रों पर विस्तार से बताया, जिसमें महानगरीय क्षेत्रों पर तालिबान के हमलों को रोकना शामिल है। इसके अलावा इनमें मानव तबाही और मानवाधिकारों के हनन को रोकना, अफगान शांति प्रक्रिया में तेजी लाना और अंत में छह महीने के सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करना शामिल है।

बैठक के दौरान, क्षेत्रीय देशों और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने हिंसा की तत्काल समाप्ति और शांति प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है।

अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने कहा कि हेरात और यूएनएएमए कार्यालय पर हमले से पता चलता है कि कार्रवाई प्रतिबद्धताओं को नहीं दशार्ती है।

उन्होंने कहा कि यह केवल अफगान का संघर्ष नहीं है, बल्कि एक ऐसा संघर्ष है, जिस पर सभी को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।


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