हृदयघात से बचने के लिए बरतें सावधानी, कराएं नियमित जांच : डॉ. धीरज सिंघल
हृदय घात के मामले जिस तरह से से बढ़ रहे हैं बहुत ही चिन्ता का विषय बन गया है

ग्रेटर नोएडा। हृदय घात के मामले जिस तरह से से बढ़ रहे हैं बहुत ही चिन्ता का विषय बन गया है, खास तौर से युवाओं में। इसके लिए लोग खुद ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि लोगों जीवनचर्या, खान-पान बिल्कुल बिगड़ गया है। भागदौड़ की जिन्दगी में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो गए हैं यही वजह है कि हृदयघात(हार्ट अटैक) के मामले चौंकाने वाले आ रहे हैं।
बढ़ती ठंढ के साथ हृदयघात के मामलों में इजाफा हो रहा है, ऐसी स्थिति में लोगों को सावधानी बरतने की बहुत जरुरत है, अगर सावधानी नहीं बरती गयी तो जीवन पर संकट आ सकता है।
हार्ट अटैल के मामले को लेकर खास बातचीत में डॉ. धीरज सिंघल, वरिष्ठ कार्डियोलाडिस्ट अक्षरा अस्पताल, गामा-एक ने बताया कि ठंढ की वजह से खून की नलियां संकुचि हो जाती हैं, जिसकी वजह से ब्लड सप्लाई कम हो जाती है, ये ठंढ की वजह से शरीर में कामन प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से हृदय की परेशानियां बढ़ जाती है।
ठंढ के मौसम में देखा जाता है कि लोग अपने खान-पान में बदलाव कर देते हैं, लोग फैटी व आयली खाने को अपनी डाइट में बढ़ा देते हैं, ये भी एक कारण है हार्ट अटैक की, इससे अटैक की सम्भावना बढ़ जाती है, ठंढ के मौसम में खून का गाढ़ापन बढ़ जाता है, थक्का जमने की प्रक्रिया ठंढ़ में अधिक होती है, गर्मियों की अपेक्षा। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने की जरुरत है।
कोविड होने की वजह से बाद से शरीर में इन्फ्लामेटरी मार्कर अधिक हो जाता है, खून का थक्का जमने की प्रक्रिया अधिक देखने को मिलता है,यही वजह है कि युवाओं मं हृदयघात के मामने अधिक हो रहे हैं।
डॉ. धीरज सिंघल ने बताया कि ठंढ में लोगों को संयमित जीनव जीने की जरुरत है, अपने जीवन के साथ लापरवाही न करें।
हृदय घात से कैसे करें बचाव
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खाने में आयली व फ्राइड वस्तुओं से करें परहेज
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नियमित व्यायाम करें, कार्डियो एक्सरसाइज करें,जिसमें वाकिंग, साइक्लिंग, जागिंग करें, जिम न करें।
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पानी की मात्रा अधिक लें, गुनगुना पानी पीये, जूस-सूप का इस्तेमाल करें।
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ब्लड प्रेशर का ख्याल रखें, नियमित जांच कराते रहें।
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पूरी व अच्छी नींद लें, कामकाज के साथ अच्छा सोना भी जरुरी है।
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नियमित जांच कराते रहें कि हमारा कोलेस्ट्रालतो नहीं बढ़ रहा है, एचएससीआरपी बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा है। ये इन्फ्लामेटरी मार्कर हैं, इससे पता लगता है कि हमारे खून में थक्का जमने की क्या सम्भावना हैं। इनमें से कुछ भी मिलता है तो इसमें रेमेडी करें, चिकित्सक से सम्पर्क करें, ताकि हृदयघात से बचा जा सके।


