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देसी उद्योगों को बढ़ावा देने से आएगा स्वावलंबन : स्वदेशी जागरण मंच

स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि देसी उद्योगों को संवारने से स्वालंबन आएगा।

देसी उद्योगों को बढ़ावा देने से आएगा स्वावलंबन : स्वदेशी जागरण मंच
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नई दिल्ली | स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि देसी उद्योगों को संवारने से स्वालंबन आएगा। आत्मनिर्भर भारत यानि कि सिर्फ स्वदेशी को लेकर जागरूकता पैदा करने के मकसद से मंच ने मंगलवार को अखिल भारतीय स्वावलंबन अभियान का ऐलान किया। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने मंच की ओर से जारी एक बयान में कहा कि लघु उद्योग, छोटे-छोटे कारोबारी, कारीगरों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और अन्य गैर-कृषि कार्य समेत ग्रामीण उद्योगों जैसे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने से स्वालंबन आएगा।

उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अतीत में नीति निमार्ताओं ने कभी देश की मेधा, संसाधन और ज्ञान पर भरोसा नहीं किया इसीलिए सार्वजनिक क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो दिया गया और बाद में विदेशी पूंजी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अहमियत दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आह्वान किया कि हमें 'लोकल के लिए वोकल' बनना होगा। यह सुखद संदेश है कि वैश्वीकरण और उदारीकरण की मौजूदा नीति खासतौर से विदेशी पूंजी आधारित विकास के मॉडल की रवानगी हो रही है।

मंच ने कहा कि वैश्वीकरण के युग में जिन स्थानीय उद्योगों को महत्व नहीं दिया गया उनको दोबारा चालू करने का यह वक्त है।

मंच ने कहा कि ऐसी आर्थिक नीतियां लाने का वक्त भी है जिससे जन-कल्याण हो, लोगों के लिए आय के स्थाई साधन पैदा हो और रोजगार मिलने के साथ-साथ भरोसा बढ़े।

उन्होंने कहा कि देश में सूक्ष्म, लघु और मघ्यम उद्यम के 700 से अधिक कलस्टर हैं जिनके औद्योगिक विकास का लंबा और वैभवशाली इतिहास रहा है लेकिन अनुचित चीनी स्पर्धा के चलते इन औद्योगिक कलस्टर की आभा समाप्त हो गई।

महाजन ने कहा कि पूरे देश में जिला स्तर पर ऐसे और औद्योगिक कलस्टर चिन्हित किया जाए जिससे भविष्य में विनिर्माण के क्षेत्र में प्रगति हो।

उन्होंने कहाए "ग्रामीण शिल्प और कृषि आधारित उत्पाद भी भारत को स्वालंबी देश बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, मछलीपालन, मशरूम की खेती, बांस की खेती, फूलों की खेती और बागवानी समेत कई कई अन्य कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पैदा करने के असीमित अवसर उपलब्ध हैं।"

अखिल भारतीय स्वालंबन अभियान के साथ कामगार, काश्तकार, छोटे-छोटे उद्यमी, अकादमिक क्षेत्र के लोग, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, उद्योग और अग्रणी कारोबारियों को शामिल करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि विभिन्न संगठनों और संघों की मदद से हम लोगों से संपर्क करेंगे और उनको स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन देने के महत्व से रूबरू करवाएंगे।


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