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स्वामी विवेकानंद भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा है : सुनीता देवदत्त

राष्ट्रीय युवा सप्ताह के अंतर्गत खरोरा में कार्यक्रम का आयोजन

स्वामी विवेकानंद भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा है : सुनीता देवदत्त
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महासमुंद। भारतीय सनातन धर्म से दुनिया को परिचित कराने वाले स्वामी विवेकानंद एक महान संत, दार्शनिक, समाज सुधारक के साथ ही कवि थे। उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए इस मंत्र को देने वाले स्वामी विवेकानंद भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा है इसलिए उन्हें यूथ आइकॉन ऑफ इंडिया कहा जाता है।

उक्त उद्गार थे पूर्व माध्यमिक शाला खरोरा में राष्ट्रीय युवा दिवस सप्ताह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आसंदी से सरपंच सुनीता देवदत्त चन्द्राकर के। उन्होंने कहा कि रामकृष्ण मिशन के माध्यम से विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को दुनिया भर के लोगों के बीच पहुंचाने में अहम् योगदान दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के प्रधान पाठक उमेश भारती गोस्वामी ने कहा स्वामी जी मैकाले द्वारा थोपी गई शिक्षा पद्धति के घोर विरोधी थे। वे कहा करते थे जिस शिक्षा से हम अपना जीवन.निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र.गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है। शिक्षा ही व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण करती है।

संस्था के वरिष्ठ शिक्षक डोमार राम साहू ने कहा कि स्वामी जी ने विदेशी धरती पर देशी संस्कृति का परचम फहराया। अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद ने कहा था एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी हैं। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन् समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं।

विशिष्ट अतिथि मनु चन्द्राकर, सरिता यादव और मनीषा चन्द्राकर ने भी स्वामी विवेकानंद के संबंध में अपने विचार रखे। शिक्षिका रामेश्वरी धु्रव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद नारी का बहुत सम्मान करते थे।

उन्होंने बताया कि एक विदेशी महिला स्वामी जी से विवाह का प्रस्ताव इस उद्देश्य के लिए रखती है कि वह उसके जैसे प्रतिभा सम्पन्न पुत्र प्राप्त कर सकें। स्वामी जी ने उस महिला को मां का दर्जा देते हुए स्वयं पुत्र बन गए। इस अवसर पर सीमा, दीक्षा, साक्षी, दिशा, कुसुम, अंजलि, ललिता, पायल, लक्ष्मी, संध्या, यामिनी, रीना, गौरव, सूरज, आर्यन, अनुज, चिराग, जुगल आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया गया।

कु डिंपल ने भाषण, विद्यार्थियों द्वारा विवेकानंद के जीवन दर्शन पर आधारित प्रेरक प्रसंग, गीत, कविता प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षिका मोना चन्द्राकर, डाइट के छात्राध्यापकों व शाला नायक पूजा परमार, यश चन्द्राकर सहित प्रेरणा, जिज्ञासा और प्रयास समूह का सराहनीय योगदान रहा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए दुबे कुमार पटेल ने कहा कि युवाशक्ति में भारत की ऊर्जा अंतर्निहित है। स्वामी विवेकानंद यकीनन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक व्यक्ति है आभार प्रदर्शन सांस्कृतिक प्रभारी कु अंजलि ने किया।


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