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जाति गणना में देरी पर सुशील मोदी ने बिहार सरकार को घेरा, बोले- नीतीश कुमार की असली मंशा कुछ और है

बिहार में जाति गणना के मसले पर राजनीति तेज हो गई है। सरकार ने छह महीने में इस काम को पूरा करने का इरादा जाहिर किया था

जाति गणना में देरी पर सुशील मोदी ने बिहार सरकार को घेरा, बोले- नीतीश कुमार की असली मंशा कुछ और है
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पटना। बिहार में जाति गणना के मसले पर राजनीति तेज हो गई है। सरकार ने छह महीने में इस काम को पूरा करने का इरादा जाहिर किया था। लेकिन अब इसकी समयसीमा बढ़ा दी गई है। हाल यह है कि अभी जात‍ि गणना शुरू करने के लिए जरूरी तैयारियां भी मुक्‍कमल नहीं हो सकी हैं। इसको लेकर भाजपा ने सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया है।

राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार निकाय चुनाव टाल कर अतिपिछड़ों को वंचित करने के बाद अब जातीय गणना टालने के नए-नए बहाने खोज रहे हैं। मोदी ने कहा कि जातीय गणना शुरू करने का समय अगले साल फरवरी से बढ़ा कर मई 2023 करने का कैबिनेट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

सरकार को मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जानकारी पहले से थी और मैट्रिक-इंटर की परीक्षाओं की तिथि भी पूर्व निर्धारित है। इन बातों के जरिए केवल जनगणना टालने का बहाना बनाया गया है।

मोदी ने कहा कि जातीय गणना कराने के लिए कैबिनेट का फैसला दो जून को हुआ, लेकिन अभी तक न मकानों की गिनती और नंबरिंग नहीं हुई, न जिला और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। मोदी ने कहा कि गणना ऐप और पोर्टल बनाने के लिए परामर्शी की नियुक्ति छह माह पहले हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसका अभी निर्णय हुआ है।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने सभी कर्मचारियों को लगाकर जातीय गणना का काम एक दिन में पूरा किया, लेकिन नीतीश सरकार इसे बार-बार टाल रही है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय सिन्हा ने मंगलवार को जारी बयान में कहा है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं दर्जनों विभागीय सचिव को अवमानना के मामले में 17 नवंबर को सशरीर तलब किया जाना राज्य सरकार की विफलता दर्शाता है। वर्षों से न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जाना इस बात का प्रमाण है।

राज्य सरकार द्वारा न्यायालय के आदेश की अवमानना का उदाहरण हमें हाल ही में देखने को मिला है, जिसमें कोर्ट के आदेश का पालन किए बिना राज्य में नगर निकायों के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। गलत अधिसूचना के कारण सैकड़ों उम्मीदवारों ने नामांकन किया और चुनाव प्रचार में करोड़ों रुपये खर्च हो गए।

उच्च न्यायालय ने जब चुनाव पर रोक लगा दिया तब जाकर राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेश का पालन किया और कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार की मनमानी और तानाशाहीपूर्ण रवैया के कारण जनता से लेकर सरकारी कर्मी सभी परेशान हैं।


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