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सीबीआई-ईडी के डर से संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों पर खामोश हैं सुशील : जदयू

बिहार में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि खुद को लोकनायक जयप्रकाश नारायण का शिष्य बताने वाले भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी अपने निजी स्वार्थ और सीबीआई तथा ईडी के डर के कारण संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों को देख कर भी खामोश हैं

सीबीआई-ईडी के डर से संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों पर खामोश हैं सुशील : जदयू
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पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि खुद को लोकनायक जयप्रकाश नारायण का शिष्य बताने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुशील कुमार मोदी अपने निजी स्वार्थ और सीबीआई तथा ईडी के डर के कारण संविधान और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों को देख कर भी खामोश हैं ।

श्री कुशवाहा ने शनिवार को भाजपा नेता सुशील मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि खुद को जेपी का शिष्य कहने वाले सुशील मोदी आज अपने ही सरकार द्वारा किए जा रहे लोकतंत्र के चीरहरण पर मौन हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जेपी के सिद्धांतों पर चलने वाला सच्चा व्यक्ति कभी भी संविधान और लोकतंत्र से समझौता स्वीकार नहीं कर सकता है लेकिन श्री मोदी ने पद और कद के स्वार्थ में तमाम नैतिक मूल्यों का त्याग दिया है।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश आज आपातकाल से भी बुरे दौर से गुजर रहा है, लेकिन श्री सुशील मोदी अपनी सरकार की किसी नीति का विरोध करने की हिम्मत दिखा दें तो कल उनके दरवाजे पर भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) धावा बोल देगी । इसी डर से सबकुछ जानते हुए भी श्री सुशील मोदी खामोश रहते हैं।

श्री कुशवाहा ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार इतनी असहिष्णु और संवेदनहीन हो चुकी है कि असहमति की आवाज को सुनना तक मुनासिब नहीं समझती है। उन्होंने कहा कि जिस लोकतंत्र की पुर्नस्थापना के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने आजीवन संघर्ष किया आज उसी लोकतंत्र की बुनियाद को भाजपा की सरकार द्वारा सरेआम ध्वस्त किया जा रहा है। भाजपा नेताओं को जयप्रकाश नारायण जी का नाम लेने का कोई हक नहीं है।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि देश की सभी विपक्षी पार्टियां लोकतंत्र की पुनः बहाली के लिए जयप्रकाश नारायण जी के विचारों से प्रेरित होकर उनके पदचिन्हों पर चल रही है। उन्होंने कहा कि जब तक देश में समाजवादी ताकतें जिंदा है तब तक सामंतवादी ताकतों द्वारा संविधान बदलने का मंसूबा कभी सफल नहीं होगा।


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