पत्रकारिता, साहित्य व समाजसेवा के लिए सुरजन हमेशा याद रखे जाएंगे : भूपेश
दैनिक देशबन्धु के प्रधान संपादक ललित सुरजन की आज 75वीं जयंती थी

रायपुर। दैनिक देशबन्धु के प्रधान संपादक ललित सुरजन की आज 75वीं जयंती थी। इस मौके पर अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देशबन्धु समाचारपत्र समूह के प्रधान सम्पादक ललित सुरजन का अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है जिसे संजोकर रखने की आवश्यकता है।
उन्होंने देशबन्धु से अपने निकट के जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि समाचारपत्र के योगदान को उन्होंने निकट से महसूस किया है। ज्ञात हो कि लगभग 60 वर्षों तक साहित्य, पत्रकारिता एवं समाजसेवा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले सुरजन जी का 2 दिसम्बर, 2020 को निधन हुआ था। ललित सुरजन की स्मृति में वेबसाइट कीर्ति शेष ललित सुरजन को लोकार्पित करते हुए एक वर्चुअल सभा में अपने संबोधन में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री ने ये विचार व्यक्त किए। अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता परिषद (ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी संगठन- ऐप्सो) की रायपुर इकाई की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देशबन्धु अपनी निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। ललित सुरजन के मार्गदर्शन में इस अखबार ने पत्रकारिता की नई ऊंचाइयां. प्राप्तकर पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है।
आज बड़े भैया स्व. ललित सुरजन जी का जन्मदिन है। उनके बिना यह उनका पहला जन्मदिन है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 22, 2021
उनके न होने से मेरे जीवन में एक "वैचारिक संस्थान" की स्थायी कमी आयी है।
लेकिन उनके न होने पर भी हम सब उनसे प्रेरणा लें, इस हेतु आज शाम मैं उनकी website का लोकार्पण कर रहा हूँ। जयंती पर सादर नमन।💐 pic.twitter.com/QIwgBH11QS
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता, साहित्य एवं समाजसेवा में उनका योगदान अप्रतिम है। उनकी सम्पादकीय टिप्पणियों का दायरा गांव-देहात से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय तक फैला था। भूपेश बघेल ने आगे कहा कि उन्हें पुस्तक प्रेमी, पर्यावरणविद एवं संस्कृति मर्मज्ञ के रूप में याद किया जाता है। वे जानकारियों का भंडार थे और देशबन्धु की समृद्ध लाइब्रेरी उनके पुस्तक प्रेम और जिज्ञासु प्रवृत्ति का परिचायक है। मुख्यमंत्री का अभिमत था कि उनके सम्पूर्ण लेखन और जीवन का लक्ष्य था एक न्यायपूर्ण विश्व और लोकतांत्रिक समाज की रचना करना। वे ऐसा समाज चाहते थे जो संविधान के बताये हुए रास्ते पर चलते हुए लोकतंत्र, समानता एवं बंधुत्व के सिद्धांतों में विश्वास करता हो और अल्पसंख्यकों, महिलाओं, कमजोर वर्गों, शोषितों व वंचितों के प्रति संवेदनशील हो।
उनका दृष्टिकोण अत्यंत उदार, आधुनिक और वैज्ञानिक था। उन्होंने कहा कि देशबन्धु से निकले कई व्यक्ति आज समाज में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
श्री बघेल का यह भी मानना था कि ललित जी सम्पन्न लोकतंत्रिक चेतना के धनी थे। वे एक बेहतर दुनिया बनाना चाहते थे। उन्होंने आह्वान किया कि हमें उनके स्वप्नों को पूरा करने की दिशा में उनके बताये रास्तों पर चलकर कार्य करना चाहिये। साथ ही उनके लेखन व योगदान को भी संजोकर रखना चाहिये ताकि भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सके।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि प्रसिद्ध चिंतक और समालोचक एवं साहित्यकार पुरुषोत्तम अग्रवाल ने ललित जी से अपने प्रदीर्घ संबंधों को याद करते हुए कहा कि वे एक निष्पक्ष, ईमानदार और सच्चे पत्रकार थे। उनमें क्षुद्रता नहीं थी। 1982 से प्रारंभ हुए दोनों के संबंध परस्पर आदर के थे। उन्हीं की वजह से वे रायपुर में हुए चम्पारण यात्रा शताब्दी कार्यक्रम में आये थे। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि कैंसर से जूझते हुए भी वे अपनी रचनात्मकता को बनाये हुए थे। उन्होंने उनकी कविताओं, लेखों, संस्मरणों को समाज के लिये उपयोगी बतलाते हुए कहा कि इन्हें संजोकर रखने की आवश्यकता है। उन्होंने ललित जी को एक सुलझे हुए व्यक्ति के रूप में याद करते हुए लक्ष्य के प्रति समर्पित, नैतिक और कर्तव्यशील व्यक्तित्व बतलाया।
देश में पत्रकारिता की स्थिति पर चर्चा करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि आज मीडिया में डर का माहौल है परन्तु देशबन्धु जैसे समाचारपत्र व संस्थान पर दबाव डालना असंभव है। उन्होंने कहा कि अखबार का काम लोकतांत्रिक अनुभूति को बनाये रखना है। अंग्रेजी में गिनती के तीन अखबार हैं पर हिन्दी में उन्हें देशबन्धु के अलावा कोई प्रकाशन नहीं दिखता। देशबन्धु मिशन की तरह पिछले 30 साल से हो रहे परिवर्तनों में हस्तक्षेप कर रहा है। उन्होंने कहा कि देशबन्धु एक सच्चे अखबार की भूमिका पहले से निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा। उन्होंने ललित जी और संस्थापक सम्पादक मायाराम सुरजन के दृष्टिकोण की तारीफ करते हुए लोकतांत्रिक समाज की स्थापना में अखबार की भूमिका की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आज स्वतंत्रता की भावना ही खतरे में है। ऐसे में हमें उदार, लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। एक जटिल और विविधता भरे समाज में पत्रकारों को अपनी ताकत पहचानने की आवश्यकता है। देशबन्धु ने पत्रकारिता का जो आदर्श स्थापित किया है उसे बनाये रखने की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल एवं उसके पहले आईएएस अधिकारी के रूप में सेवा देने वाले शेखर दत्त ने ललित सुरजन के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए बतलाया कि जबलपुर से प्रारंभ हुए दोनों के मित्रतापूर्ण संबंध आजीवन बने रहे, यहां तक कि ललित जी के निधन वाले दिन सुबह में उनकी बात हुई थी। उन्होंने बताया कि अनेक विषयों पर उनसे वार्ताएं हुआ करती थीं। साहित्य एवं पत्रकारिता के अलावा विभिन्न विषयों पर उनसे आदान-प्रदान होता था। उनसे काफी कुछ सीखने को मिलता था। उनके निधन से न केवल पत्रकारिता जगत के ही लोगों को क्षति हुई है बल्कि वे सारे साधारण व्यक्ति जो समाज के लिये कुछ करना चाहते हैं, उनका भी नुकसान हुआ है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एप्सो राज्य इकाई की अध्यक्ष पूर्व सांसद सुश्री पुष्पा देवी सिंह ने कहा कि ललित जी का विशाल व्यक्तित्व था और उनका जुड़ाव अनेक संगठनों से था। पत्रकारिता, साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्रों को उनके जाने से बड़ा नुकसान हुआ है।
पूर्व सांसद एवं एप्सो के राष्ट्रीय अध्यक्ष पल्लव सेनगुप्ता ने बतलाया कि ललित जी से उनकी पहली मुलाकात 1997 में हुई थी। ऐप्सो का काम उनके सतत जुड़ाव एवं प्रेरणा से लगातार आगे बढ़ता रहा। उन्होंने कहा कि वे समस्या नहीं वरन समाधान का हिस्सा होते थे। श्री सेनगुप्ता के अनुसार जब ऐप्सो को राजनीतिक बनाने को लेकर संगठन के सदस्यों के अलग-अलग विचार थे तब सुरजन ने ही उसके इस रूप में बने रखने के लिये सबको तैयार किया था।
लोकार्पित की गयी वेबसाइट के बारे में पलाश सुरजन ने बतलाया कि ललित जी का लेखन का कालखंड 50 सालों से अधिक का है। उनका लेखन इतना विस्तृत और व्यापक है कि वह शायद 50 किताबों में भी न समा सके। इसलिये विचार किया गया कि इसके लिये एक वेबसाइट बनाई जाये जिसमें उनका सारा लेखन उपलब्ध हो। पत्रकारों, शोध व पत्रकारिता के छात्रों आदि के लिये यह बहुत उपयोगी व सहज उपलब्ध हो सकेगा। इसका उद्देश्य लोगों तक ललित जी का अवदान पहुंचाना है।
एप्सो रायपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता द्वारा सभी का स्वागत किया गया। संचालन रायपुर एप्सो के महासचिव विनयशील द्वारा किया गया। देशबन्धु एवं डीबी लाइव के प्रधान सम्पादक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने सभी के प्रति आभार जताया। इस अवसर एप्सो रायपुर इकाई द्वारा मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। अनेक प्लेटफार्मों पर लाइव प्रसारित हुए इस कार्यक्रम में सुरजन परिवार के अनेक सदस्य, साहित्यकार, पूर्व आईएएस अधिकारी, रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केएल वर्मा, राजस्थान से शैलेंद्र अवस्थी, ऐप्सो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अरुणकांत शुक्ला, डॉ इंदिरा मिश्र, सुशील त्रिवेदी, सत्यभामा आडिल, वेदप्रकाश अग्रवाल, ललित सिंघानिया, समेत कई गणमान्य नागरिक और विभिन्न संगठनों के सदस्य बड़ी संख्या में जुड़े।


