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प्रधान पाठक ने सरकारी स्कूल को बनाया मॉडल...

सूरजपुर ! एक सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक की अनूठी पहल ने स्कूली बच्चों को बस्तेे के बोझ से पूरी तरह मुक्त कर दिया।

प्रधान पाठक ने  सरकारी स्कूल को बनाया मॉडल...
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अजय गुप्ता

बच्चों की ही ली मदद, कर दिया बस्ते का बोझ खत्म
सूरजपुर ! एक सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक की अनूठी पहल ने स्कूली बच्चों को बस्तेे के बोझ से पूरी तरह मुक्त कर दिया। बैगलैस इस स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हुई है। प्रधान पाठक के इस नवाचार से शिक्षा के प्रति न केवल बच्चों में ही बल्कि अभिभावकों में भी जागरूकता आयी है। यह स्कूल प्रदेश के अन्य स्कूलों के लिये भी एक मॉडल साबित हो सकता है। स्कूल में अनुशासन, स्वच्छता, कौशल विकास के गुर सिखाने के साथ साथ प्रधानपाठक बच्चों की स्कूल में ही नही इनके घरों पर भी शिक्षा कीे सतत् निगरानी रखते है।
जिला मुख्यालय से सटे ग्राम रूनियाडीह में स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक सीमांचल त्रिपाठी की परिकल्पना से उनके स्कूल के बच्चे बस्ते के बोझ से मुक्त हो गए हैं। उनका यह नवाचार इसी सत्र में मूर्तरूप लिया है। यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राएं दो कॉपी लेकर स्कूल आते है एक रफ और दूसरा विषय की कॉपी होती है। किताबे उन्हें स्कूल के अध्ययन कक्ष में उपलब्ध करा दी जाती है, जबकि बच्चों के घर में उनकी एक सेट किताबे रहती है। दो सेट किताबों से बस्ते का बोझ बच्चों को नही ढोना पड़ता है। स्कूल में जो किताबे उन्हें उपलब्ध है वह पिछले वर्ष के अध्ययनरत बच्चों की होती है, उत्तीर्ण बच्चों की यह किताबे रख ली जाती है। प्रधान पाठक श्री त्रिपाठी कहते है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद के द्वारा बस्ता के बोझ को कम करने की पहल से यह विचार आया। प्रधान पाठक की इस अनुठी पहल से बस्ते का बोझ ही कम नही हुआ बल्कि शिक्षा की गुणवता भी बढ़ी है। यह इस बात से भी आंकी जा सकती है कि बच्चों को स्कूल में जो भी पढ़ाया जाता है उसे रफ कॉपी में लिखा जाता है और घर में जाकर फेयर करना पड़ता है। इससे स्कूल में पढ़ाई गई जानकारी बच्चे दोबारा सीखते हैं। जिससे बच्चों में याददाश्त क्षमता भी बढ़ रही है। 106 बच्चों की दर्ज संख्या वाले इस स्कूल में प्राय: बच्चे गरीब परिवार के है। अध्ययन के बाद एक घण्टे का कौशल विकास व कोचिंग क्लास भी स्कूल में रोजाना लगती है। प्रधान पाठक श्री त्रिपाठी की बात करें तो वे स्कूल के साथ साथ घर पर बच्चे अध्ययन कर रहे है कि नही, इसकी भी जिम्मेदारी खुद उठा रखी है वे सायंकाल घरों पर बच्चों को समूह में लाईट जलते ही पढऩे को बोल रखा है और रोजाना इसकी निगरानी भी करते है। प्रधान पाठक सहित स्कूल के शिक्षक बच्चों को शिक्षा के लिये हर संभव प्रेरणा देते है दो वर्षों से इस स्कूल के बच्चों में शिक्षा गुणवक्ता की बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह बात अब अभिभावक भी मानते है और वे अभिभूत है। शिक्षकों के कड़ी मेहनत और बच्चों के प्रति शिक्षा के लिये समर्पण का भाव देखते हुये अभिभावक भी बच्चों के भविष्य संवारने गंभीर है, जो बच्चो के शत प्रतिशत उपस्थिति से भी प्रदर्शित होता है। प्रधान पाठक के अनुसार स्कूल में सामाजिक संस्था द्वारा बच्चों को ठंड से बचने स्वेटर, टोपी जबकि जनसहयोग से शुद्ध पानी पीने के लिये वाटर फिल्टर, पंखे, टाटपट्टी उपलब्ध कराई गई है। प्रत्येक बच्चे गणवेश व आई कार्ड के साथ मिले। अमूमन सरकारी स्कूल के बच्चे गणवेश में तो रहते है मगर आई कार्ड नही होता। इस स्कूल का अपनी वेबसाइट भी है, जिसमें स्कूल की जानकारी अपलोड है। स्कूल में सुंदर किचन गार्डन भी है जहां से मध्यायन भोजन में एक सब्जी रोजाना बच्चों को मिलती है। किचन गार्डन में अभिभावक भी मेहनत करते है। यहां अभिभावकों से बच्चों के दाखिला व स्थानांतरण के समय दो बोरी गोबर खाद सहयोग स्वरुप ली जाती है। रूनियाडीह शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला संभवत पहली शाला होगी जो पूरी तरह से बस्ता मुक्त है,यह स्कूल प्रदेश के अन्य स्कूलों के लिये एक मॉडल साबित हो सकता है।


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