Top
Begin typing your search above and press return to search.

शिवसेना विधायकों की अयोग्यता विवाद पर सात मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 10 जनवरी के फैसले को चुनौती देने वाली शिवसेना-उद्धव ठाकरे (यूबीटी) की याचिका पर सात मार्च को सुनवाई करेगा

शिवसेना विधायकों की अयोग्यता विवाद पर सात मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
X

नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 10 जनवरी के फैसले को चुनौती देने वाली शिवसेना-उद्धव ठाकरे (यूबीटी) की याचिका पर सात मार्च को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यूबीटी गुट की ओर से शीघ्र सुनवाई करने की गुहार पर पीठ ने सहमति व्यक्त करते हुए मामले को सात मार्च के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

यूबीटी गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने गुहार लगाई।

विधानसभा अध्यक्ष ने 10 जनवरी को सभी अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया और शिंदे के समूह को असली शिवसेना घोषित कर दिया था।

यूबीटी समूह की ओर सुनील प्रभु ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में तर्क दिया गया कि विधानसभा अध्यक्ष का आदेश गैरकानूनी और विकृत थे। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अध्यक्ष के फैसले में मुख्य निर्विवाद घटना यानी 30 जून 2022 को शपथ ग्रहण पर भी विचार नहीं किया गया है।

उनकी याचिका में कहा गया है, “शिंदे ने राज्यपाल से मुलाकात की और 30 जून 2022 को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अयोग्यता का इससे स्पष्ट मामला नहीं हो सकता था।”

याचिका में कहा गया है कि दसवीं अनुसूची का उद्देश्य उन विधायकों को अयोग्य ठहराना है जो अपने राजनीतिक दल के खिलाफ काम करते हैं। यह पूरी तरह से संवैधान के खिलाफ है। इस लिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।”

याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकांश विधायकों को राजनीतिक दल की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाला मानकर विधानसभा अध्यक्ष ने वास्तव में विधायक दल को राजनीतिक दल के बराबर मान लिया है, जो कि सुभाष देसाई के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के दायरे में है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it