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निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निर्णायक: विपक्ष

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने आज कहा कि निजता पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से ‘लोगों की निजी जिंदगी में ताकझांक कर रही’ मोदी सरकार बाज आएगी

निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निर्णायक: विपक्ष
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नयी दिल्ली। विपक्षी दलों ने निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक और निर्णायक बताते हुए इसका स्वागत किया है और कहा है कि इससे लोगों की निजी जिंदगी में सरकार की दखलअंदाजी कम होगी।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सुधाकर रेड्डी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह स्वागत योग्य फैसला है जिसने मोदी सरकार की निजता के अधिकार को कम करने की कोशिशों को तगड़ा झटका दिया है।

गांधी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से निजता के अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा के एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। इसने आम आदमी के जीवन में सरकार और उसकी एजेसिंयाे के अनाधिकृत हस्तक्षेप पर कुठाराघात किया है।

गांधी ने कहा कि इससे फासीवादी ताकतों को तगडा झटका लगा है। इसने निगरानी के जरिए लोगों के दमन की भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को खारिज किया है। वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अभिन्न अंग के रुप में निजता के अधिकार को बहाल रखने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते है। यह प्रत्येक भारतीय नागरिक की विजय है।

चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने अनच्छेद 21 का जिस तरह से मतलब निकाला उससे निजता के अधिकार का हनन हुआ। उन्होंने ये भी कहा कि आधार की अवधारणा में कोई कमी नहीं है, लेकिन यह सरकार जिस तरह से आधार का इस्तेमाल या गलत इस्तेमाल करना चाहती है, गड़बड़ी उसमें है।

उच्चतम न्यायालय ने देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करने वाले अपने आज के ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया है। प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसले में कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के पूरे भाग तीन का स्वाभाविक अंग है।


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