Top
Begin typing your search above and press return to search.

चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित

उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया से जुड़े धनशोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम की जमानत याचिका पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया

चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित
X

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया से जुड़े धनशोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम की जमानत याचिका पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने ईडी से अब तक की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में मांगी।

ईडी ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वह जेल में रहते हुए भी मामले के अहम गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं। श्री मेहता ने कहा कि आर्थिक अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं क्योंकि वे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं, बल्कि व्यवस्था में लोगों के यकीन को भी ठेस पहुंचाते हैं।

उन्होंने कहा कि जांच के दौरान ईडी को बैंक के 12 ऐसे खातों के बारे में पता चला जिनमें अपराध से जुटाया गया धन जमा किया गया। एजेंसी के पास अलग-अलग देशों में खरीदी गयी 12 संपत्तियों के ब्यौरे भी हैं।

उन्होंने कहा कि जेल में अभियुक्तों की समयावधि को जमानत मंजूर करने का आधार नहीं बनना चाहिए।
चिदम्बरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कल दिन भर बहस की थी, उसके बाद श्री मेहता ने आज दलीलें पूरी की।
चिदम्बरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 15 नवंबर को जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
इससे पहले श्री सिब्बल ने अपनी दलील में कहा था कि रिमांड अर्जी में ईडी ने आरोप लगाया है कि श्री चिंदबरम गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे, जबकि वह तो ईडी की हिरासत में थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री चिदंबरम की इसलिए जमानत मंजूर नहीं की गयी जैसे वह रंगा-बिल्ला हों।

उन्होंने कहा था, “ क्या ईडी अधिकारी यह कहना चाहते हैं कि ईडी के दफ्तर में जहाँ फोन भी उपलब्ध नहीं था, वहां से मैं गवाहों को प्रभावित कर रहा था।”
सिब्बल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय ने ईडी की तीनों बड़ी दलीलें (सबूतों के साथ छेड़छाड़ की

आशंका, फ्लाइट रिस्क, गवाहों को प्रभावित करने की संभावना) को ठुकरा दिया। इसके बावजूद सिर्फ यह कहते हुए जमानत मंजूर करने से इन्कार कर दिया कि श्री चिंदबरम गवाहों को प्रभावित कर सकते है। उन्हें इस घोटाले का सरगना साबित कर दिया गया, जबकि उनसे जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it