जेलों की बदहाली को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र व राज्य को फटकारा
सर्वोच्च न्यायालय ने कारागारों और बाल सुधार गृहों की बदहाली को लेकर गुरुवार को केंद्र व राज्यों की सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि सब कुछ 'मजाक' बनकर रह गया है

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने कारागारों और बाल सुधार गृहों की बदहाली को लेकर गुरुवार को केंद्र व राज्यों की सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि सब कुछ 'मजाक' बनकर रह गया है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, "कृपया, कारागारों और बाल सुधार गृह जाकर वहां की दशा देखिए। अपने अधिकारियों को अपने दफ्तरों से निकलकर जेलों की दशा देखने को कहिए। पानी के नल की टोंटियां काम नहीं करती हैं। शौचालय उपयोग में नहीं हैं। सब बंद हो चुके हैं और बदहाल हैं। उनको देखने को कहिए, जिससे वे समझेंगे कि कैदी किस तरह की दयनीय दशा में रहते हैं।"
कारागृहों और बाल सुधार गृहों की दशा सुधारने के प्रति सरकारी मशीनरी की बेरुखी और संवदेनहीन व्यवहार पर नाराजगी जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, "आपने सब कुछ को मजाक बनाकर रख दिया है।"
कारागारों की दशा सुधारने के मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के तरीकों की आलोचना करते हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, "इस अदालत के दो न्यायाधीश इसलिए नाराज हैं क्योंकि उन्होंने देखा कि क्या हो रहा है।"
न्यायमूर्ति लोकुर ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (सेवानिवृत्ति) और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित द्वारा हरियाणा में कारागारों और बाल सुधार गृहों का दौरा करने के संदर्भ में यह बात कही।
इस दौरे के बाद देशभर में कारागारों और बाल सुधार गृहों की दशा की न्यायिक जांच शुरू हुई।
शीर्ष अदालत ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिक्तियों के मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही।
सीएफएसएल में काफी संख्या में खाली पदों पर आपत्ति जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, "हमारी आपराधिक न्यायप्रणाली काम नहीं कर रही है। हमारे कारागृह बदहाल हैं। दुनियाभर में कर्मचारियों की कमी का औसत 16 फीसदी है, लेकिनि भारत में 62 फीसदी है।"
उन्होंने कहा, "हम दुनिया को किस तरह का संदेश दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, "लोगों (अधिकारियों) को जेल भेजिए और जीवन का आनंद लीजिए।"
अदालत ने कारागृह सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अमिताव राव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के प्रति उदासीन व्यवहार के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की।


