Top
Begin typing your search above and press return to search.

उच्चतम न्यायालय करेगा केरल उच्च न्यायालय के फैसले की समीक्षा

उच्चतम न्यायालय इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या किसी उच्च न्यायालय को अपने रिट अधिकारों का इस्तेमाल करके दो धर्मों के युवक-युवतियों के बीच हुए विवाह को निरस्त करने का अधिकार है या नहीं

उच्चतम न्यायालय करेगा केरल उच्च न्यायालय के फैसले की समीक्षा
X

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या किसी उच्च न्यायालय को अपने रिट अधिकारों का इस्तेमाल करके दो धर्मों के युवक-युवतियों के बीच हुए विवाह को निरस्त करने का अधिकार है या नहीं।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए नौ अक्टूबर की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि वह इस बात की भी समीक्षा करेगा कि किसी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर युवक-युवती की शादी को समाप्त किया जा सकता है।

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान केरल उच्च न्यायालय द्वारा एक हिन्दू युवती और मुस्लिम युवक के निकाह को निरस्त करने के फैसले पर सवाल खड़े किये।

शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि केरल उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करके हिन्दू लड़की अखिला अशोकन (अब हादिया) और मुस्लिम युवक शैफीन जहां के बीच हुए निकाह को निरस्त कैसे कर दिया? खंडपीठ ने कहा कि कोई पिता अपनी 24 साल की बेटी को उसके निजी जीवन के संदर्भ में दवाब नहीं दे सकता।

अखिला ने धर्म परिवर्तन करके अपना नाम हादिया रख लिया था और शैफीन जहां से गत वर्ष दिसम्बर में निकाह कर लिया था।

अखिला के पिता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने निकाह को निरस्त कर दिया था। उच्च न्यायालय के उस फैसले को शैफीन ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

न्यायालय ने इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी थी, जिसकी निगरानी का जिम्मा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवीन्द्रन को सौंपा गया है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it