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सुप्रीम कोर्ट फेसलेस टैक्स मूल्यांकन के लिए आप, गांधी परिवार की याचिका पर आज करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा उनके कर निर्धारण को फेसलेस मूल्यां

सुप्रीम कोर्ट फेसलेस टैक्स मूल्यांकन के लिए आप, गांधी परिवार की याचिका पर आज करेगा सुनवाई
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा उनके कर निर्धारण को फेसलेस मूल्यांकन से केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।

आप, कांग्रेस नेताओं और गांधी परिवार से जुड़े पांच ट्रस्टों की 9 विशेष अनुमति याचिकाएं (एसएलपी) शीर्ष अदालत के समक्ष प्रवेश के लिए सूचीबद्ध हैं।

संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, जवाहर भवन ट्रस्ट, राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और यंग इंडियन वे पांच ट्रस्ट हैं, जिन्होंने कर निर्धारण के हस्तांतरण के खिलाफ याचिका दायर की है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.एन.वी. भट्टी की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेेेगी।

इससे पहले 26 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप, गांधी परिवार और पांच ट्रस्टों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें आयकर विभाग द्वारा उनके कर मूल्यांकन को फेसलेस मूल्यांकन से केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की उच्च न्यायालय की पीठ ने फैसला सुनाया कि फेसलेस मूल्यांकन योजना के तहत मूल्यांकन का कोई मौलिक कानूनी अधिकार नहीं है।

गांधी परिवार ने प्रधान आयकर आयुक्त के स्थानांतरण आदेशों को चुनौती देते हुए कहा कि केवल दुर्लभतम मामले ही फेसलेस मूल्यांकन से बाहर हो पाते हैं। गांधी परिवार ने मुख्य रूप से अपने कर निर्धारण को हथियार डीलर संजय भंडारी के समूह के साथ मानने का विरोध किया। भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी पर भारत में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के कई आरोप हैं।

आप ने तर्क दिया कि स्थानांतरण आदेशों ने वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है और उन्हें "मनमाना" कहा है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानांतरण आदेश कानून के अनुसार थे और जांच में बेहतर समन्वय के लिए किए गए थे। फेसलेस मूल्यांकन योजना कर मामलों को बेतरतीब ढंग से चुनने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके करदाता और कर प्राप्‍तकर्ता के बीच शारीरिक संपर्क तोड़ देती है और कर विभाग के साथ मानव इंटरफ़ेस को कम या समाप्त कर देती है।


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