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सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस से कहा, लोगों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाली हानिकारक प्रवृत्ति खत्‍म करें

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस से 'राज्य में प्रचलित एक खतरनाक प्रवृत्ति' को खत्म करने को कहा, जहां कुछ पुलिस अधिकारी 'लोगों की स्वतंत्रता और आजादी पर अंकुश लगा रहे हैं

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस से कहा, लोगों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाली हानिकारक प्रवृत्ति खत्‍म करें
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना पुलिस से 'राज्य में प्रचलित एक खतरनाक प्रवृत्ति' को खत्म करने को कहा, जहां कुछ पुलिस अधिकारी 'लोगों की स्वतंत्रता और आजादी पर अंकुश लगा रहे हैं।'

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि जहां देश विदेशी शासन से आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं तेलंगाना में कुछ पुलिस अधिकारी संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों से बेखबर हैं और उन पर अंकुश लगा रहे हैं। लोगों की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता।

इसमें कहा गया है, "तेलंगाना राज्य में प्रचलित एक खतरनाक प्रवृत्ति हमारे ध्यान से बच नहीं पाई है...जितनी जल्दी इस प्रवृत्ति को समाप्त कर दिया जाएगा, उतना बेहतर होगा।"

शीर्ष अदालत ने कहा कि निवारक हिरासत को वर्षों से इसके लापरवाह आह्वान के साथ सामान्य बना दिया गया है, जैसे कि यह कार्यवाही के सामान्य पाठ्यक्रम में भी उपयोग के लिए उपलब्ध हो।

हैदराबाद के पुलिस आयुक्त द्वारा पारित हिरासत आदेश को रद्द करते हुए इसने कहा, "यह सामान्य ज्ञान है कि कार्यपालिका द्वारा निवारक हिरासत का सहारा केवल संदेह के आधार पर लिया जा सकता है।"

निवारक निरोध आदेश में दर्ज किया गया है कि जिस सामान्य कानून के तहत हिरासत में लिया गया था, वह ऐसे अपराधी की अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है और जब तक उसे निरोध कानूनों के तहत हिरासत में नहीं लिया जाता, उसकी गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने उसके समक्ष शुरू की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही में हिरासत आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

तथ्यों और कानून के विस्तृत विश्‍लेषण के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपील की अनुमति दी और आदेश दिया कि "अपीलकर्ता के पति, यानी बंदी को तुरंत हिरासत से रिहा किया जाए।"


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