सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक की इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया पर लगाई रोक
उच्चतम न्यायालय ने हजारों घर खरीददारों को फौरी राहत प्रदान करते हुए जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने (इंसॉल्वेंसी) की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर आज रोक लगा दी
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने हजारों घर खरीददारों को फौरी राहत प्रदान करते हुए जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने (इंसॉल्वेंसी) की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर आज रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने घर खरीददारों की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा शुरू की जाने वाली इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया पर स्थगनादेश जारी किया।
न्यायालय ने इन खरीददारों की याचिका पर जेपी इंफ्राटेक को नोटिस भी जारी किया। खरीददारों का दावा है कि उन्होंने 90 प्रतिशत राशि का भुगतान जेपी को कर दिया है, लेकिन उन्हें आज तक फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया गया है।
आईडीबीआई बैंक के 500 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के लिए एनसीएलटी में इंसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन घर खरीददारों ने शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की थी। इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के तहत सेक्योर्ड क्रेडिटर्स के वित्तीय हितों को अनसेक्योर्ड क्रेडिटर्स के हितों पर तरजीह दी जाती है।
फ्लैट खरीददारों ने यह दलील दी है कि यदि इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो न तो उन सभी को फ्लैट ही मिल पायेगा और न ही उनके पैसे वापस होंगे। घर खरीददारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अजित सिन्हा ने दलील दी कि जेपी की 27 हाउसिंग परियोजनाओं में करीब 32 हजार क्रेताओं ने फ्लैट खरीद के लिए पैसे लगाये हैं और इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के कारण इन खरीददारों के हित अधर में लटक गये हैं। एनसीएलटी ने 10 अगस्त को जेपी इंफ्राटेक की इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिये थे।


