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महामारी के बीच परीक्षा आयोजित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश सरकार को कोविड की स्थिति के बीच 12वीं की शारीरिक तौर पर (फिजिकल) परीक्षा आयोजित करने पर जोर देने के लिए फटकार लगाई

महामारी के बीच परीक्षा आयोजित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र सरकार को लगाई फटकार
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश सरकार को कोविड की स्थिति के बीच 12वीं की शारीरिक तौर पर (फिजिकल) परीक्षा आयोजित करने पर जोर देने के लिए फटकार लगाई और परीक्षा आयोजित करने के लिए अपनाए गए तंत्र पर असंतोष व्यक्त किया। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने राज्य सरकार के वकील महफूज ए. नाजकी से कहा कि अदालत 12वीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षाओं की अनुमति तब तक नहीं देगी, जब तक कि सरकार उन्हें कोविड के प्रसार के खिलाफ किए गए उपायों से संतुष्ट नहीं करती।

पीठ ने कहा, आप कहते हैं कि एक परीक्षा कक्ष में केवल 15 छात्रों को बैठाया जाएगा। फिर तो आपको 34,634 कमरों की आवश्यकता होगी। क्या आपके पास वह (कक्षों की संख्या) है?

पीठ ने नाजकी से पूछा कि क्या राज्य सरकार इतने सारे परीक्षा कक्षों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस फार्मूला लेकर आई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप जो प्रतिबद्धता बना रहे हैं.. हम उससे सहमत नहीं हैं। एक कमरे में 15 छात्र। इस तरह से आपको 35,000 कमरों की आवश्यकता होगी।

न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि परीक्षा देने वाले 5 लाख छात्रों के अलावा लगभग एक लाख लोग और इस प्रक्रिया में शामिल होंगे, जिसमें पर्यवेक्षक और अन्य कर्मचारी शामिल होंगे। अदालत ने उनसे कोविड के उपायों पर स्पष्टीकरण मांगा।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने यह भी कहा कि कोरोनावायरस के डेल्टा वेरिएंट के संबंध में अनिश्चितता है, इसलिए ऐसे समय में शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना सही नहीं है।

अदालत ने सवाल पूछते हुए कहा, क्या होगा अगर परीक्षा के बीच में तीसरी लहर शुरू हो जाए?

पीठ ने कहा कि महामारी की स्थिति बहुत अनिश्चित है और कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि जुलाई के अंतिम सप्ताह के दौरान क्या हो सकता है। अदालत ने जुलाई में अगर मामले बढ़ते हैं तो उस पर राज्य सरकार की आकस्मिक योजना क्या होगी, उसे लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार परीक्षा और परिणामों के लिए एक विशिष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं करके छात्रों को अनिश्चितता में डाल रही है।

पीठ ने कहा, आपको कम से कम 15 दिन का नोटिस देना होगा। आप ऐसा कब करने जा रहे हैं?

पीठ ने जोर देकर कहा कि अन्य बोडरें ने परीक्षा रद्द कर दी है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि आंध्र प्रदेश बोर्ड भी ऐसा नहीं कर सकता है। न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, क्या आप छात्रों को जोखिम में डालने जा रहे हैं? क्यों न आज ही फैसला लिया जाए।

पीठ ने यह भी कहा कि अगर सरकार जुलाई के अंतिम सप्ताह में परीक्षा आयोजित करने पर जोर देती है, तो आंध्र प्रदेश बोर्ड के छात्रों के कॉलेज में एडमिशन को लेकर देरी होगी। अदालत ने कहा कि वह यूजीसी को प्रवेश के लिए कट-ऑफ घोषित करने का निर्देश देगी।

पीठ ने कहा, सिर्फ इसलिए कि आपके बोर्ड ने परीक्षा आयोजित नहीं की है, यह आपके राज्य में एडमिशन शुरू नहीं करने का आधार नहीं हो सकता है। इस प्रकार से तो अन्य बोर्ड के छात्रों को तो प्रवेश मिल जाएगा, और आपके राज्य बोर्ड के छात्र पीछे रह जाएंगे।

शीर्ष अदालत ने इस मामले को 25 जून (शुक्रवार) को दोपहर दो बजे के लिए सूचीबद्ध किया है।

देश में केवल आंध्र प्रदेश सरकार ही है, जो महामारी के बीच कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए शारीरिक तौर पर बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर जोर दे रही है।


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