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रामनवमी हिंसा की जांच एनआईए को सौंपने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने रामनवमी हिंसा से जुड़े मामलों की जांच एनआईए को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया

रामनवमी हिंसा की जांच एनआईए को सौंपने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को रामनवमी हिंसा से जुड़े मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश अधिकवक्ता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि एनआईए अधिनियम को हिंसा के सामान्य मामलों में तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि मामला देश की सुरक्षा या संप्रभुता से संबंधित न हो।

राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सिर्फ इसलिए एनआईए कहीं नहीं पहुंच सकती कि वहां बम हो सकता था। उन्होंने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने इस अनुमान पर आदेश पारित किया कि बम और विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ है जिससे विस्फोटक अधिनियम लागू होता है जो एनआईए अधिनियम के तहत एक अनुसूचित अपराध है।

उन्होंने कहा कि यह सब भाजपा के एक सक्रिय सदस्य द्वारा जनहित याचिका में किया गया है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय में विचार करने पर आपत्ति जताई।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल 2023 के आदेश में कहा कि एनआईए अधिनियम की धारा 6 का उल्लंघन हुआ है। उच्च न्यायालय ने कहा कि रामनवमी के दौरान हुई हिंसा के दौरान जुलूस पर हमला करने के लिए देशी बमों का इस्तेमाल किया गया था। यह दावा किया गया कि बमों के बारे में आरोप होने के बावजूद एनआईए जांच को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत अपराध दर्ज नहीं किया। उच्च न्यायालय ने जांच को एनआईए को स्थानांतरित कर दिया जो अब तक रामनवमी हिंसा के संबंध में छह प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।

इस आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।

हालांकि, खंडपीठ, जिसमें जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और के.वी. विश्वनाथन भी शामिल हैं, ने पश्चिम बंगाल सरकार को कोई स्टे या राहत देने से इनकार कर दिया और गर्मी की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई निर्धारित की।

अधिकारी की तरफ से (कैविएट पर), वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और पी.एस. पटवालिया भी अधिवक्ता बंसुरी स्वराज के साथ उपस्थित हुए। एनआईए का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार इस आधार पर फाइलें एनआईए को स्थानांतरित नहीं कर रही है कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है।

राज्य की याचिका में कहा गया है, माननीय उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता राज्य पुलिस को सभी प्राथमिकी, दस्तावेज, जब्त की गई सामग्री, सीसीटीवी फुटेज आदि को तुरंत एनआईए को स्थानांतरित करने का निर्देश देकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विभिन्न निर्णयों में निर्धारित कानून के स्थापित सिद्धांत का उल्लंघन किया है।


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