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सुप्रीम कोर्ट ने उठाए वायु प्रदूषण को लेकर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर वायु प्रदूषण

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए वायु प्रदूषण को लेकर सवाल
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को नियंत्रण करने से जुड़े आयोग वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से पूछा है कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए क्या कदम उठाए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण की समस्या और पराली जलाने के बारे में प्रदूषण मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में सुप्रीम कोर्ट की सहायता कर रही वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह की दलीलों को सुना.

बेंच ने कहा कि एमिकस क्यूरी ने सर्दियां आने के साथ-साथ पराली जलाने के साथ-साथ वायु प्रदूषण की "गंभीर समस्या" को चिह्नित किया है और उन्होंने कहा है कि ये मुद्दे सीएक्यूएम के समक्ष हैं.

दिल्ली को चाहिए साफ हवा

अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि ठंड की शुरूआत और दीवाली आने के साथ, वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ने वाली है. इसके बाद कोर्ट ने सीएक्यूएम से मामले में रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए क्या कदम उठाए गए है.

इस बीच दिल्ली सरकार ने विंटर एक्शन प्लान के तहत 7 अक्टूबर से 7 नवंबर तक एंटी डस्ट कैंपेन की शुरूआत की है. गुरुवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस कैंपेन के तहत पूरी दिल्ली में निगरानी के लिए 13 विभागों की 591 टीमें तैनात की गई हैं. दिल्ली में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 82 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों, 530 वॉटर स्प्रिंकलर और 258 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन तैनात की जा रही हैं.

पराली की समस्या

खेतों से फसल काट लेने के बाद पौधों के बाकी बचे हिस्से को जलाना, इस समय पंजाब और हरियाणा के साथ ही दूसरे कई राज्यों में भी आम बात है. खेतों को साफ करने और अगली फसल के लिए तैयार करने की खातिर किसान आमतौर पर यही उपाय आजमाते हैं. गर्मियों में बोई फसलों को काटने का समय अक्टूबर में होता है. इसके तुरंत बाद किसान खेत साफ करते हैं, ताकि अगले कुछ हफ्तों में सर्दियों की फसल बोई जा सके.

इसके अलावा निर्माण कार्य के कारण भी हवा की गुणवत्ता खराबहोती है. धुंध, धुएं और धूल से मिल कर ठंडी हवा भारी हो जाती है और आसमान पर स्मॉग छा जाता है. निर्माण के कारण उड़ने वाली धूल, गाड़ियों से निकला धुआं और खेतों में पराली जलने से उठा धुआं इस स्मॉग की चादर को बुनते हैं.

हवा की गुणवत्ता को 0 से 500 के स्केल पर नापा जाता है. 0 से 50 के बीच एयर क्वॉलिटी को अच्छा माना जाता है, जबकि 300 से ऊपर यह बेहद खतरनाक होती है. दिल्ली में हर साल एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज किया जाता है जिस कारण वहां रहने वाले लोगों में तरह तरह की बीमारियां पनप रही हैं.


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