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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन के खिलाफ याचिका में केंद्र की प्रतिक्रिया में ढिलाई पर सवाल उठाया

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका पर जवाब देने में केंद्र की देरी पर असंतोष व्यक्त करते हुए मंगलवार को सवाल किया कि सरकार ने छह सप्ताह का समय दिए जाने के बाद भी जवाबी हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन के खिलाफ याचिका में केंद्र की प्रतिक्रिया में ढिलाई पर सवाल उठाया
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका पर जवाब देने में केंद्र की देरी पर असंतोष व्यक्त करते हुए मंगलवार को सवाल किया कि सरकार ने छह सप्ताह का समय दिए जाने के बाद भी जवाबी हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए.एस. ओका ने यह टिप्पणी की। पीठ एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि परिसीमन अभ्यास, जो हाल ही में 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया था, असंवैधानिक है क्योंकि 2011 में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए कोई जनसंख्या जनगणना अभियान नहीं किया गया था।

याचिका के अनुसार, परिसीमन आयोग के पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 9(1)(बी) और परिसीमन अधिनियम 2022 की धारा 11(1)(बी) के तहत अभ्यास करने की शक्ति नहीं है। चुनाव आयोग में निहित शक्ति बाद की घटनाओं के कारण आवश्यक परिवर्तन करके परिसीमन आदेश को अपडेट करना है और उक्त शक्ति किसी भी अधिसूचना के माध्यम से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं या क्षेत्रों या सीमा को नहीं बदल सकती है।

याचिका में जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में 107 से 114 (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 24 सीटों सहित) सीटों की संख्या को संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330, और 332 के अल्ट्रा वायर्स होने को चुनौती दी गई है। याचिका के अनुसार, संबंधित जनसंख्या के अनुपात में परिवर्तन नहीं होना भी यूटी अधिनियम की धारा 39 का उल्लंघन है।


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