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सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल नेताओं की संपत्ति पर हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आगामी दुर्गा पूजा उत्सव से पहले राहत की सांस ली है

सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल नेताओं की संपत्ति पर हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आगामी दुर्गा पूजा उत्सव से पहले राहत की सांस ली है। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आठ मंत्रियों सहित 19 पार्टी नेताओं की संपत्ति पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में एक पक्ष होने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इन नेताओं की संपत्ति में वृद्धि में कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है। अधिवक्ता फिरदौस शमीम की ओर से दायर जनहित याचिका में आठ मंत्रियों के अलावा विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय का भी नाम शामिल है। जनहित याचिका में कहा गया है कि 2011 से 2016 की अवधि के दौरान इन नेताओं की संपत्ति में कई गुना वृद्धि हुई, और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपील की कि वह ईडी को संपत्तियों की इन वृद्धि के कारणों की जांच करने का निर्देश दे।

जनहित याचिका में नामित तृणमूल नेताओं के एक वर्ग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने की याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंतत: गुरुवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल नेताओं को राहत देते हुए हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।

तृणमूल के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि, कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पार्टी के खिलाफ एक और साजिश को नाकाम कर दिया है।


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