सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर
केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी है

नयी दिल्ली। केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी है।
द नेशनल अयप्पा डिवोटी (वीमेन्स) एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका दायर करके उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया है कि वह अपने हालिया फैसले की समीक्षा करे।
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक संबंधी सदियों पुरानी प्रथा को 4:1 के बहुमत के फैसले में समाप्त कर दिया था और सभी आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकती हैं।
पुनरीक्षण याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ के फैसले से संविधान की प्रस्तावना में प्रदत्त विचारधारा, अभिव्यक्ति, मान्यता, आस्था एवं पूजा के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, शेष पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।
यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


