श्रीश्री रविशंकर ने कहा -सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, यही लक्ष्य
अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बने पैनल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया

नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के सौहार्दपूर्ण निपटारे के प्रयास के तौर पर मध्यस्थता को अहमियत प्रदान करते हुए शुक्रवार को मध्यस्थकार नियुक्त किये।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन-सदस्यीय मध्यस्थकार समिति गठित की, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल होंगे।
श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट कर कहा सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।
सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।#AyodhyaVerdict
— Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) March 8, 2019
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आवश्यकता पड़ने पर और लोगों को भी समिति में शामिल किया जा सकता है। समिति कानूनी सहायता भी ले सकती है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने संविधान पीठ की ओर से आदेश सुनाते हुए कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और इस पर पूरी तरह मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध रहेगा। न्यायालय ने एक हफ्ते में सभी पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने और इसके लिए सारा इंतजाम उत्तर प्रदेश सरकार को करने का आदेश भी दिया। मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में होगी और समिति को चार हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट सौंपनी होगी।
मुख्य न्यायाधीश ने आदेश में कहा, 'हमें इस मसले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाने में कोई कानूनी बाधा नजर नहीं आती है। ' संविधान पीठ में न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।


