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सुप्रीम कोर्ट संपूर्ण ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज सुना सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट आज यानी 24 अप्रैल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है

सुप्रीम कोर्ट संपूर्ण ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज सुना सकता है फैसला
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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) के साथ अनिवार्य रूप से मिलान करने की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को कुछ दिशा निर्देश पारित कर सकता है।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची के अनुसार, यह मुद्दा 24 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के सामने सूचीबद्ध है।

पिछले हफ्ते, बेंच ने इस मामले में जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू की आलोचना करने की जरूरत नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चुनाव की पूर्व संध्या पर समय-समय पर जनहित याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ताओं की आलोचना करते हुए कहा था कि मतदाता की लोकतांत्रिक पसंद को मजाक में बदल दिया गया है।

उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत ने पहले ही इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

वीवीपैट स्वतंत्र रूप से वोट का सत्यापन करने वाली प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है।

चुनाव आयोग ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय के समक्ष यह स्‍पष्‍ट कर दिया कि ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है। इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है।

चुनाव आयोग ने अपने स्टेटमेंट में कहा था कि अगर ईवीएम की जगह मैन्युअल गिनती की जाती है तो इसमें मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है।

निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केरल के कासरगोड में मतदान के अभ्यास के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में एक अतिरिक्त वोट दिखने के आरोप झूठे हैं। शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोट का ‘वोटर वेरिफियेबिल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) से पूरी तरह सत्यापन करने का अनुरोध किया गया था।


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