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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर चंदा कोचर को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर नोटिस जारी किया। जांच एजेंसी ने कथित वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में उनकी जमानत रद्द करने की मांग की है

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर चंदा कोचर को जारी किया नोटिस
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर नोटिस जारी किया। जांच एजेंसी ने कथित वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में उनकी जमानत रद्द करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई जिसमें कोचर दंपत्ति को अंतरिम जमानत देने के अपने पूर्व आदेश की पुष्टि करने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे।

शीर्ष अदालत ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया और वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत के मामले के साथ सीबीआई की याचिका को टैग करने का निर्देश दिया, जहां जमानत पर उनकी रिहाई को भी चुनौती दी गई है।

सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने पीठ को बताया कि आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया गया था और चंदा कोचर ने मुश्किल से एक महीना हिरासत में बिताया है।

इस साल 6 फरवरी को सुनाए गए फैसले में बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति नितिन आर. बोरकर की खंडपीठ ने पिछले साल जनवरी में पारित अंतरिम जमानत आदेश की पुष्टि की।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "23.12.2022 को की गई गिरफ्तारी जांच के दौरान मिली किसी अतिरिक्त सामग्री के आधार पर नहीं थी, बल्कि उसी सामग्री के आधार पर थी, जो धारा 41ए के तहत नोटिस जारी करने के समय जांच अधिकारी के ज्ञान में थी। बिना सोचे-समझे और कानून का उचित सम्मान किए बिना इस तरह की नियमित गिरफ्तारी सत्ता का दुरुपयोग है और धारा 41ए(3) सीआरपीसी की आवश्यकता को पूरा नहीं करती है।"

उच्च न्यायालय ने साथ ही कहा कि सीबीआई ऐसी परिस्थितियों या सहायक सामग्री के अस्तित्व को प्रदर्शित करने में विफल रही, जिसके आधार पर गिरफ्तारी का निर्णय लिया गया था।

इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत ने कोचर को अंतरिम जमानत देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के जनवरी 2023 के फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी की याचिका का निपटारा कर दिया था। हालांकि उसने सीबीआई को कोचर दंपति को दी गई अंतरिम जमानत की पुष्टि करने वाले हाईकोर्ट के अंतिम फैसले के खिलाफ नई अपील दायर करने की छूट दी थी।

चंदा कोचर और उनके व्यवसायी पति पर आरोप है कि उन्होंने वीडियोकॉन समूह को दिए गए ऋण के बदले में अपने कार्यकाल के दौरान रिश्वत ली थी।


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