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गन्ना किसानों के बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और कई राज्यों को थमाया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक नए मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें राज्यों को गन्ना किसानों की बकाया राशि को रिकॉर्ड में लाने और मिल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई

गन्ना किसानों के बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और कई राज्यों को थमाया नोटिस
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक नए मामले पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें राज्यों को गन्ना किसानों की बकाया राशि को रिकॉर्ड में लाने और मिल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

पूर्व लोकसभा सांसद राजू अन्ना शेट्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने प्रस्तुत किया कि एक समान मामला पहले ही अदालत द्वारा विचार के लिए स्वीकार कर लिया गया है और इस बात पर जोर दिया कि 1 जनवरी, 2021 तक किसानों का बकाया 18,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह मांग की गई है कि देशभर के गन्ना किसानों को उनकी बकाया राशि देने को लेकर केंद्र सरकार एक नीति बनाए। इस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र और कई राज्यों को नोटिस जारी किया है और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 2020-21 के चीनी सीजन में गन्ना उत्पादकों ने चीनी मिलों को 14,000 करोड़ रुपये के गन्ने की आपूर्ति की, लेकिन उन्हें भुगतान के तौर पर केवल 4,448 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं।

याचिका में कहा गया है, 12 फरवरी, 2021 को, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में उल्लेख किया था कि चीनी मिलों पर 1 जनवरी, 2021 तक गन्ना किसानों का 18,084 करोड़ रुपये बकाया है।

याचिका में कहा गया है कि 15 सितंबर, 2019 को गन्ना मूल्य बकाया कुल 9,444 करोड़ रुपये था और 30 सितंबर, 2019 को बकाया 7,796 करोड़ रुपये था।

याचिका में आगे कहा गया है, उत्तर प्रदेश में 63.4 प्रतिशत, गुजरात में 8.5 प्रतिशत और पंजाब में कुल गन्ना बकाया का 6.2 प्रतिशत हिस्सा है। 8 अप्रैल, 2020 तक, चीनी मिलों ने 28,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा था, लेकिन केवल 15,430 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

याचिकाकर्ता ने सिफारिश की कि राज्यों को सख्त तंत्र स्थापित करना चाहिए, जिसके द्वारा गन्ना किसानों को कानून के अनुसार गन्ने की कीमत का भुगतान किया जा सके, ताकि इस तरह के बकाया के संचय से बचा जा सके और गन्ना किसानों को उस दुष्चक्र से रोका जा सके, जब एक चीनी मिल को ठप घोषित कर दिया जाता है।

याचिका में दलील देते हुए कहा गया है कि चीनी मिलों/कारखानों के समाधान या परिसमापन की प्रक्रिया के दौरान गन्ने की उपज का किसानों को मिलने वाला बकाया बना रहा, जिससे गन्ना किसानों की वित्तीय स्थिति बिगड़ती गई और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में निहित उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह सरकार को गन्ना उत्पादकों को उनके बकाया के लिए कुछ तदर्थ भुगतान जारी करने का निर्देश दे।

मामले में दलीलें सुनने के बाद, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने केंद्र सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु और कई चीनी मिलों सहित विभिन्न राज्यों को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत इस मामले को तीन सप्ताह के बाद विचार के लिए रखेगी।


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