सुप्रीम कोर्ट ने खनन अयस्क हटाने के लिए गोवा की खनन कंपनियों को और समय दिया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गोवा में खनन कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए 15 मार्च 2018 या उससे पहले खनन किए गए खनिजों को हटाने के लिए जनवरी 2021 तक का समय दे दिया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गोवा में खनन कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए 15 मार्च 2018 या उससे पहले खनन किए गए खनिजों को हटाने के लिए जनवरी 2021 तक का समय दे दिया है। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "रॉयल्टी और अन्य शुल्कों के भुगतान के अधीन, 15 मार्च 2018 को या उससे पहले खोदे गए/खनन किए गए खनिजों को हटाने के लिए पट्टेदारों (खनन कंपनियां) को जनवरी 2021 के अंत तक का समय दिया जाता है।"
इससे पहले 30 जनवरी को शीर्ष अदालत ने सभी लीज धारकों को पहले से ही खुदाई किए गए खनिज के परिवहन के लिए छह महीने की अवधि दी थी और यह अवधि 30 जून को ही समाप्त हो गई थी।
पीठ ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के कारण नोट किया कि यह कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। इसके अलावा कुछ कंपनियों ने एक अक्टूबर से इसके लिए समयसीमा का विस्तार किए जाने को लेकर आवेदन भी दायर किए थे।
हालांकि मामले में प्रतिवादी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) गोवा फाउंडेशन ने दलील दी कि राज्य सरकार को कथित तौर पर पिछले ढाई साल से अधिक समय से साइट पर पड़े खनिजों को जब्त करने के लिए नियम 12 (1) (एचएच) लागू करना चाहिए।
खनिजों के नियम 12 (1) (एचएच) के संदर्भ में (परमाणु और हाइड्रो कार्बन ऊर्जा खनिजों के अलावा) रियायत नियम, 2016 के अनुसार छह महीनों की अवधि के भीतर अगर खनिज नहीं हटाए जाते हैं तो इसे सरकार जब्त कर सकती है।
शीर्ष अदालत की ओर से खनिज हटाने के संबंध में छह महीने की समयावधि समाप्त होने के बाद एनजीओ ने स्पष्टीकरण के लिए एक आवेदन दायर किया था।
शीर्ष अदालत ने गोवा में 2015 में लगभग 88 कंपनियों को दिए गए लौह अयस्क खनन पट्टों के दूसरे नवीनीकरण (रिनूअल) पर वर्ष 2018 में रोक लगा दी थी और गोवा में खनन एवं लौह अयस्क के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।


