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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ राघव चड्ढा की याचिका पर कार्यवाही बंद की

सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा की राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ दायर याचिका सोमवार को यह देखते हुए बंद कर दी कि उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ राघव चड्ढा की याचिका पर कार्यवाही बंद की
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा की राज्यसभा से निलंबन के खिलाफ दायर याचिका सोमवार को यह देखते हुए बंद कर दी कि उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई है।

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने यह निर्णय लिया। वकील शादान फरासत ने पीठ को बताया कि चड्ढा का निलंबन 4 दिसंबर को रद्द कर दिया गया था। इसलिए पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने यह कहते हुए कार्यवाही बंद करने का फैसला किया कि आप सांसद द्वारा दायर रिट याचिका अब निरर्थक हो गई है।

चड्ढा का निलंबन 115 दिनों तक चला, उसके बाद भाजपा सांसद जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में एक प्रस्ताव रखा, जिसका अनुमोदन करते हुए निलंबन रद्द कर दिया गया।

पिछली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि मामले में "कुछ रचनात्मक हो रहा है"।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने तब चड्ढा के वकील से कहा था, "कभी-कभी, शांत रहना अच्छा होता है। सॉलिसिटर जनरल ने जो कहा है, उसे भी पढ़ें।"

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल नवंबर में चड्ढा को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मिलने और सदन में अपने कथित कदाचार के लिए बिना शर्त माफी मांगने को कहा था। इसमें कहा गया था कि आप नेता द्वारा मांगी गई माफी पर राज्यसभा सभापति "सहानुभूतिपूर्वक" विचार करेंगे।

चड्ढा को इस साल अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का चयन समिति में नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है और कहा है कि सदन के सभापति किसी सदस्य को जांच लंबित रहने तक निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते, खासकर तब, जब विशेषाधिकार समिति पहले ही उसी मुद्दे पर जांच कर चुकी है।


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