सुप्रीम कोर्ट ने पशु खरीद-बिक्री अधिसूचना पर रोक लगाई
उच्चतम न्यायालय ने भी वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री से संबंधित केंद्र सरकार की अधिसूचना पर आज रोक लगा दी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भी वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री से संबंधित केंद्र सरकार की अधिसूचना पर आज रोक लगा दी।
केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जे. एस. केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि अब वह अगले तीन महीने में नया नियम लेकर आएगी।
शीर्ष अदालत ने आज स्पष्ट किया कि यह रोक पूरे देश में जारी रहेगी न कि सिर्फ तमिलनाडु में। केंद्र सरकार ने न्यायालय को अवगत कराया कि मांस बिक्री के लिए वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक के लिए नियमों में बदलाव की प्रक्रिया चल रही है।
न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह अंडरटेकिंग देने को मजबूर कर दिया कि वह पिछले दिनों जारी अधिसूचना का क्रियान्वयन नहीं करेगी। पिछली अधिसूचना पर मद्रास उच्च न्यायालय ने गत 30 मई को रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति केहर ने याचिकाकर्ता से कहा कि सरकार द्वारा अगले तीन महीने बाद जारी होने वाली नयी अधिसूचना को देखें और अगर नये नियमों से कोई परेशानी हो तो वह दोबारा याचिका दायर कर सकते हैं।
गत 23 मई को केंद्र सरकार ने वध के लिए बाजार में पशुओं की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मद्रास उच्च न्यायालय ने 30 मई को इस पर रोक लगा दी थी।
शीर्ष अदालत ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को को नोटिस जारी किया था।
हैदराबाद निवासी मोहम्मद फहीम कुरैशी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके कहा था कि केंद्र की अधिसूचना ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है, क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है। याचिकाकर्ता ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है। पेशे से वकील याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है।


