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सर्वोच्च न्यायालय ने असम की संशोधित मतदाता सूची का 3 साल का ब्योरा मांगा

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्वाचन अयोग से जनवरी 2017, 2018 व 2019 में संशोधित की गई असम की मतदाता सूची प्रस्तुत करने को कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने असम की संशोधित मतदाता सूची का 3 साल का ब्योरा मांगा
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्वाचन अयोग से जनवरी 2017, 2018 व 2019 में संशोधित की गई असम की मतदाता सूची प्रस्तुत करने को कहा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने मतदाता सूची में जोड़े गए या हटाए गए तीन साल के आंकड़ों को प्रस्तुत करने को कहा। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, लेकिन 31 जुलाई, 2019 को जारी किए गए अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में नहीं हैं, उनके लिए चुनाव आयोग क्या कदम उठा रहा है।

निर्वाचन आयोग के सचिव ने कहा कि मतदाता सूची को अपडेट करना एक निरंतर प्रक्रिया है। आयोग के सचिव अदालत में निजी तौर पर पेश हुए थे।

शीर्ष अदालत ने बीते तीन मार्च को सुनवाई में निर्वाचन आयोग के सचिव को निजी तौर पर उपस्थित होने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि उसकी नोटिस के बावजूद निर्वाचन आयोग से कोई पेश नहीं हुआ।

अदालत गोपाल सेठ व अन्य की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने तर्क दिया कि उनके नाम महज मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं होने से मतदाता सूची से हटा दिए गए, जो कि 30 जून, 2018 को प्रकाशित की गई थी।

निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम मतदाता सूची में है और एनआरसी में नाम नहीं होने से किसी का भी नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं गया है।


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