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अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने की मध्यस्थता की वकालत

सुप्रीम कोर्ट में संबंधित पक्षकारों ने अयोध्या विवाद मामले में मध्यस्थों के नाम लिख कर दे दिए हैं

अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने की मध्यस्थता की वकालत
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नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मध्यस्थों के पास भेजा जा सकता है या नहीं। इसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला तो नहीं दिया लेकिन कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सभी पक्षकारों से मध्यस्थों के नाम जरूर मांग लिए।

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट को 3 नाम सुझाए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द फैसला लेगा कि अयोध्या विवाद को मध्यस्थों के पास भेजा जाए या फिर कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस पर सुनवाई जारी रखे।

26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में जब अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई हुई तो कोर्ट ने कहा था कि यदि बातचीत से विवाद हल होने की 1 प्रतिशत भी उम्मीद हुई तो कोर्ट बातचीत के पक्ष में जाएगा और आज इससे आगे बढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से मध्यस्थों के नाम मांग लिए।

शाम को अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मध्यस्थता के रूप में पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जेएस खेहर और पूर्व जस्टिस एके पटनायक के नाम सुझा दिए लेकिन कोर्ट ने फिलहाल इस पर आज कोई फैसला नहीं किया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि ये भावनाओं और विश्वास से जुड़ा मामला है, फैसले का असर जनता की भावना और राजनीति पर पड़ सकता है।

बाबर था या नहीं, वो राजा था या नहीं, वहां मंदिर था या मस्जिद, ये सब इतिहास की बातें हैं। कोई भी उस जगह बने और बिगड़े निर्माण या मंदिर-मस्जिद और इतिहास को पलट नहीं सकता। जो पहले हुआ, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं।

अब विवाद क्या है

कोर्ट चाहता है कि आपसी बातचीत से अयोध्या विवाद का हल निकले लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ की राय जस्टिस बोबडे से अलग थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या विवाद दो पक्षों के बीच का नहीं बल्कि दो समुदायों से संबंधित है। हम उन्हें मध्यस्थता पर बाध्य कैसे कर सकते हैं? ये बेहतर होगा कि आपसी बातचीत से मसला हल हो पर कैसे?

ये अहम सवाल है

कोर्ट की टिप्पणी पर जहां निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए राजी हो गए है लेकिन हिन्दू पक्षकार की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन ने मध्यस्थता का विरोध करते हुए कहा कि श्रीराम की जन्मभूमि वाली जगह आस्था से जुड़ी है।

इस पर समझौता नहीं किया जा सकता, इस तरह के आस्था और भरोसे से जुड़े मामलों में समझौता नहीं किया जा सकता, हरिशंकर जैन ने भी मध्यस्थता का विरोध करते हुए कहा यह विवाद धार्मिक है और लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, यह केवल प्रॉपर्टी विवाद नहीं है।

खैर अब सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा है, साथ ही ये भी साफ कर दिया है कि वो जल्द ही मध्यस्थता पर फैसला सुनाएगा


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