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सुपरकॉप संतोष पटेल, गस्त के दौरान मानवता दिखा बटोर रहे तारीफ

हाईवे पर गस्त के दौरान पुलिस का मानवीय रूप सामने आया है। खुले आसमान के नीचे हाइवे के किनारे पीली पन्नी में एक बेसहारा सो रहा था।

सुपरकॉप संतोष पटेल, गस्त के दौरान मानवता दिखा बटोर रहे तारीफ
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ग्वालियर: हाईवे पर गस्त के दौरान पुलिस का मानवीय रूप सामने आया है। खुले आसमान के नीचे हाइवे के किनारे पीली पन्नी में एक बेसहारा सो रहा था। तब घाटीगांव एसडीओपी संतोष पटेल व उनकी टीम ने उस बेसहारा की ठंड से बचने की व्यवस्था की। ज्यादातर आपने ऐसे किस्से ही सुने होंगे कि गरीब बेबस को पुलिस हड़का कर चली जाती है। संतोष पटेल ने मानवता को उदाहरण बनते हुए इस बुजुर्ग के लिए हर सम्भव मदद की।
एक बुजुर्ग ड्रायवर को उसका साथी ड्रायवर बहस के बाद रात में हाइवे पर पनिहार टोल पर छोड़ गया। जब रात में एसडीओपी घाटीगांव संतोष पटेल व उनकी टीम गश्त के लिए निकली तो उन्हाेंने टोल के पास सुलगती आग के पास पीले रंग की बरसाती में सोते हुए उस बुजुर्ग ड्रायवर को देखा। उसके पास ओस से भीगती दो रोटी भी रखी थी। तब एसडीओपी ने उसे जगाया और उससे पूछताछ की। तब पता चला कि उसका साथी ड्रायवर उसे छोड़कर चला गया है। उसने पास की दुकान से चार रोटी मंगाई ओर दो खाली। इसके बाद किसी दूसरे ट्रक वाले ने पीली तिरलपाल और एक शाल दे दी। जिससे वह उसी में लिपट कर सोने लगा। इसके बाद एसडीओपी पटेल ने उसे उठाकर दुकानदार अमर रावत की दुकान के पीछे बनी झोपड़ी में लिटाया और पास में आग जलवा दी। उसके बाद वह उठकर आग के पास बैठ गया
जब पुलिस को एहसास हुआ कि इतनी ठंड में कैसे नींद आएगी। ठंड के प्रवेश द्वार कान और पैर होते हैं। उसके पास कान बांधने के टोपा नहीं था, पैरों पर जूते मौजे नहीं थे। एसडीओपी ने अपने सर पर लगाया मध्यप्रदेश पुलिस की देश भक्ति जन सेवा का टोपा उतारकर उसे पहनाया और मौजे भी पहनाए। उसके बाद दुकानदार की झोपड़ी में उस व्यक्ति को सुला दिया। जिसे सुबह किसी वाहन में बैठाकर वापस गृह जिले की श्योपुर भेजा। एसडीओपी ने बताया कि उसको हमारी जरूरत थी इसीलिए ईश्वर ने हमें वहां पर पहुंचाया अन्यथा हम भी ठंड में अपने घर पर सोते। अच्छे कार्य करने से मन को संतुष्टि मिलती है और उसका प्रचार प्रसार करने से व्यक्ति में समाज सेवा का भाव जागता है। यही देश भक्ति जन सेवा का मूल उद्देश्य है।

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