'सुन्नी वक्फ बोर्ड को शाहजहां के दस्तखत वाला दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश'
उच्चतम न्यायालय ने प्रेम के प्रतीक ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक सप्ताह के भीतर मुगल शासक शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रेम के प्रतीक ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा करने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक सप्ताह के भीतर मुगल शासक शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
शीर्ष अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी।
आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है, लेकिन बोर्ड की ओर से दलील दी गयी कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था।
इस पर पीठ ने तुरंत कहा, “आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। ” वक्फ बोर्ड के आग्रह पर न्यायालय ने उसे एक हफ्ते की मोहलत दे दी।
ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह कौन विश्वास करेगा कि ताज़महल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मामलों से न्यायालय का समय जाया नहीं करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एएसआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें उसने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनोती दी है।
बोर्ड ने ताजमहल को वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित की थी। दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी करके ताजमहल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर पंजीकृत करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की थी, जिसने बोर्ड के फैसले पर रोक लगा दी थी।
गौरतलब है कि मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल करके ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित करने की मांग की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें वक्फ बोर्ड के पास जाने को कहा था।
मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल करके ताज़महल को बोर्ड की सम्पत्ति घोषित करने की मांग की।
बोर्ड ने एएसआई को नोटिस जारी करके जवाब देने को कहा था। एएसआई ने अपने जवाब में इसका विरोध करते हुए कहा कि ताजमहल उसकी सम्पत्ति है, लेकिन बोर्ड ने एएसआई की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताज़महल को बोर्ड की सम्पत्ति घोषित कर दी थी।


