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पुलिस फायरिंग मामले में दूसरी बार एसआईटी के सामने पेश हुए अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल

दूसरी बार विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने पेश हुए। बादल उस घटना के समय शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और गृह विभाग संभाल रहे थे।

पुलिस फायरिंग मामले में दूसरी बार एसआईटी के सामने पेश हुए अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल
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चंडीगढ़: गुरुग्रंथ साहिब के कथित अपमान के विरोध में 2015 में कोटकपुरा पुलिस ने भीड़ पर गोलीबारी की थी। इस मामले में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल बुधवार को इस महीने दूसरी बार विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने पेश हुए। बादल उस घटना के समय शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और गृह विभाग संभाल रहे थे।

इससे पहले, एसआईटी ने 6 सितंबर को सुखबीर बादल को तलब किया था और बहबल कलां फायरिंग मामले में उनसे तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। कोटकपुरा और बहबल कलां दोनों के मामले आपस में जुड़े हुए थे और घटना गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद हुई थी।

उस वक्त फरीदकोट में बेअदबी का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी। बहबल कलां में प्रदर्शनकारियों पर हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कोटकपुरा में कुछ लोग घायल हो गए।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एल.के. यादव गोलीबारी की दोनों घटनाओं की जांच कर रहे हैं।

एसआईटी ने इससे पहले बेअदबी मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी से पूछताछ की थी।

सैनी को तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राज्य में बेअदबी की घटनाओं और उसके बाद हुई हिंसा के बाद शीर्ष पुलिस पद से हटा दिया था, जिसमें पुलिस बल पर ज्यादती का आरोप लगाया गया था।

बेअदबी की कथित घटनाओं और बाद में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग के मामले में पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त आयोग का नेतृत्व करने वाले न्यायमूर्ति रंजीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और अकाली दल के मुखिया प्रकाश सिंह बादल व तत्कालीन डीजीपी सैनी को इस मामले में लपेटा था।

आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रणजीत सिंह ने इसके अलावा, सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की आलोचना की थी, जिसके प्रमुख और स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम सिंह अपने दो शिष्यों से दुष्कर्म के आरोप में 20 साल की जेल की सजा और एक पत्रकार की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

न्यायमूर्ति सिंह ने जनवरी में अपनी 423 पन्नों की किताब 'द सैक्रिलेज' के विमोचन पर यह टिप्पणी की थी।

न्यायमूर्ति सिंह ने यहां किताब के विमोचन के मौके पर आईएएनएस को बताया था, "सबूत के आधार पर निष्कर्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी दोनों के खिलाफ जाता है। उन्होंने बेअदबी की घटना के बाद प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग पर उचित भूमिका नहीं निभाई थी।"

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 9 अप्रैल, 2021 को पिछली पुलिस एसआईटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसने बादल को क्लीन चिट दी थी और राज्य सरकार को एक नई टीम गठित करने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने न केवल जांच को खारिज कर दिया था, बल्कि तरीकों पर भी संदेह जताया था और आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को जांच कर रही एसआईटी के पुनर्गठन का आदेश दिया था, जो अब आप विधायक हैं।

उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने घटना की जांच के लिए 7 मई को एक और एसआईटी का गठन किया था।


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