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बीजू जनता दल से सुजीत कुमार निष्कासित, राज्यसभा की सदस्यता से भी दिया इस्तीफा

बीजू जनता दल (बीजद) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पार्टी के राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया। पार्टी का कहना है कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, जिसके कारण उन्हें निष्कासित किया गया है।

बीजू जनता दल से सुजीत कुमार निष्कासित, राज्यसभा की सदस्यता से भी दिया इस्तीफा
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नई दिल्ली। बीजू जनता दल (बीजद) ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पार्टी के राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया। पार्टी का कहना है कि वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, जिसके कारण उन्हें निष्कासित किया गया है।

सुजीत कुमार का निष्कासन पार्टी के लिए एक बड़ा कदम है, जो उनके कार्यों को पार्टी के हितों के विरुद्ध मानता है और उनके कृत्यों को स्वीकार नहीं करता है। बीजद अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है। उन्होंने उस पार्टी को निराश किया है, जिसने उन्हें राज्यसभा भेजा और कालाहांडी जिले के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को ठेस पहुंचाई है।

इसके साथ ही सुजीत कुमार ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा के सभापति को लिखे अपने इस्तीफे में सुजीत कुमार ने लिखा कि मैं राज्यसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा दे रहा हूं। मैंने यह फैसला सोच-समझ कर लिया है। उनके इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया गया है।

भारत के उपराष्ट्रपति के कार्यालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक बयान जारी कर लिखा गया है कि भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 101 3(बी) के अनुरूप पाते हुए सुजीत कुमार का राज्यसभा से इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।

सुजीत कुमार साल 2020 से राज्यसभा के सदस्य थे। इसके अलावा, वह वर्तमान में राज्यसभा की याचिका समिति के अध्यक्ष भी हैं। उनके पास ओडिशा सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने का अनुभव है, जिनमें विशेष विकास परिषद (एसडीसी) के मुख्य सचिव के सलाहकार और ओडिशा राज्य योजना बोर्ड के विशेष सचिव के रूप में कार्य करना शामिल है। उनकी योग्यता और अनुभव को देखते हुए बीजद ने उन्हें राज्यसभा में भेजा था।


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