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जैविक ईंधन तैयार करने में वैज्ञानिकों को मिली सफलता

देश के पहले कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाने वाले जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने नये प्रकार का जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) तैयार किया

जैविक ईंधन तैयार करने में वैज्ञानिकों को मिली सफलता
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नैनीताल। देश के पहले कृषि विश्वविद्यालय के नाम से जाने वाले जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों ने नये प्रकार का जैविक ईंधन (बायोफ्यूल) तैयार किया है। इस बायोफ्यूल से कोई भी डीजल इंजन चलाया जा सकता है और इसके प्रयोग पर्यावरण में अपेक्षाकृत कम प्रदूषण उत्पन्न होता है। वैज्ञानिकों ने इस बायोफ्यूल का पेंटेंट भी करा लिया है।

पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक जयंत सिंह ने बताया कि इस जैविक ईंधन को विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के फार्म मशीनरी एंड पावर विभाग के वैज्ञानिकों ने ईजाद किया है। इसका श्रेय विभाग के श्री वीरा प्रसाद गोडूगुला, डाॅ. जयंत सिंह, डाॅ. टी. के. भट्टाचार्य एवं डाॅ. एम. पी. सिंह को जाता है। ईंधन को ईजाद करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बायोफ्यूल करंजा तेल के एस्टर एवं एथानाॅल के मिश्रण से विकसित किया गया है।

डाॅ. जयंत ने बताया कि इस बायोफ्यूल से कोई भी डीजल ईंजन चलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस ईंधन को डीजल के स्थान पर प्रयोग करने पर पाया गया कि डीजल के बजाय इस ईंधन के प्रयोग से ग्रीन हाऊस गैसों का उर्त्सजन कम होता है। यह विश्वविद्यालय की बड़ी कामयाबी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने इसका पेंटेंट भी करा लिया है।

केन्द्र सरकार के पेंटेंट कार्यालय द्वारा हाल ही में अभी इसके पेंटेंट को स्वीकृति दे दी गयी है। पेंटेंट दाखिल करने की अवधि से आगे के बीस वर्षों के लिये किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. ए.के. मिश्रा ने वैज्ञानिकों के इस अभिनव प्रयोग को विश्वविद्यालय के लिए अहम कदम बताया। वैज्ञानिकों के इस अभिनव प्रयोग पर कुलपति एवं विवि के अधिष्ठाता डाॅ. एच.सी. शर्मा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों को नये प्रयोग कर अधिक से अधिक पेंटेंट कराने की अपील की है।


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