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ऑनलाइन परीक्षा से छात्र-छात्राएं बेफिक्र, विशेषज्ञों ने जताई चिंता, पद्धति में बदलाव पर कहीं बात

राजधानी सहित प्रदेश के स्कूल कॉलेज में तालाबंदी के साथ ऑनलाइन परीक्षा की घोषणा के बाद छात्र छात्राओं में बेफिक्री का आलम है और ज्यादातर छात्र छात्राओं का समूह यही चर्चा में दिखलाई पड़ता है कि परीक्षा आसानी से हो जाएगी पास और फेल होने का खतरा भी टल गया है

ऑनलाइन परीक्षा से छात्र-छात्राएं बेफिक्र, विशेषज्ञों ने जताई चिंता, पद्धति में बदलाव पर कहीं बात
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रायपुर। राजधानी सहित प्रदेश के स्कूल कॉलेज में तालाबंदी के साथ ऑनलाइन परीक्षा की घोषणा के बाद छात्र छात्राओं में बेफिक्री का आलम है और ज्यादातर छात्र छात्राओं का समूह यही चर्चा में दिखलाई पड़ता है कि परीक्षा आसानी से हो जाएगी पास और फेल होने का खतरा भी टल गया है जबकि विशेषज्ञ इस व्यवस्था से चिंतित हैं उनका कहना है कि ऐसे परीक्षार्थी ऐसे माध्यम से परीक्षा देने के कारण उच्चतर अंक लेकर सामने आ जाते हैं जो स्थान नहीं रखते ऐसे परीक्षार्थियों को पीछे होना पड़ता है जो वर्ष भर पढ़ाई करते हैं और इस माध्यम के कारण उनके अंक अन्य परीक्षार्थियों के समतुल्य हो जाते हैं यहां तक की विद्यार्थियों में नकल चोरी की आदत बढऩे की संभावना के मद्देनजर शिक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि ऑनलाइन परीक्षा की सिस्टम में बदलाव लाकर नकल की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सकती है इससे किसी छात्र का अहित नहीं होगा और मूल्यांकन के साथ अच्छे परिणाम सामने आएंगे अन्यथा पिछली बार की तरह इस बार भी उच्चतर अंक हासिल कर प्रतिस्पर्धा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक होगी और खामियाजा बेरोजगारी के साथ सामने आ सकता है।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन ने कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर पिछले दिनों राजधानी सहित प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्र छात्राओं के प्रवेश पर रोक लगा दिया है वही शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों को 50त्न उपस्थिति के साथ काम करने की अनुमति दी गई है इस निर्णय से कर्मचारी वर्ग में जहां परेशानी की स्थिति दिखाई पड़ रही है वही छात्र-छात्राएं काफी संतुष्ट है छात्र छात्राओं का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा देने में काफी रूचि लगती है और आसानी से परीक्षा पूर्ण कर ली जाती है इसमें लिखने का और काफी देर तक पढक़र की याद करने की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती ऑफलाइन में 3 घंटे लेखनी के साथ परीक्षा देनी पड़ती थी और परिणाम भी आशा के अनुरूप नहीं आते थे इसमें इस माध्यम से परीक्षा में शामिल होने के कारण अधिक से अधिक अंक हासिल कर सकते हैं विशेषज्ञों को ऑनलाइन के कारण परीक्षार्थियों में दिन प्रतिदिन नकल की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है स्कूल एजुकेशन से लेकर कॉलेज एजुकेशन में छात्र-छात्राएं इंटरनेट का उपयोग कर परीक्षा में शामिल होते हैं और अपनी दक्षता का परिचय देते हैं आलस्य के साथ और अन्य कई तरह की परेशानी भी इस पद्धति से जुड़ी हुई रही है।

विशेषज्ञों का यह मानना है या परीक्षा बहुविकल्पीय पद्धति से ली जाए प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर आयोजन किया जाए तो छात्र छात्राओं का परीक्षण भी दक्षता के अनुरूप हो पाएगा और पढऩा भी उनके स्थिति के अनुसार दिए जा सकेंगे ऐसे में छात्र छात्राओं में बनने वाली नकल की प्रवृत्ति को पर भी रोक लगाई जा सकती है जो एक सार्थक कदम होना चाहिए इस संबंध में भी विचार कर आने वाले दिनों में परीक्षा के संबंध में निर्णय लिए जा सकते है वही एक शासकीय महाविद्यालय में शिक्षक ने कहा कि पिछली बार ऑनलाइन परीक्षा के परिणाम सामने है जिसमें औसतन विद्यार्थी 97प्रतिशत लेकर पास हो गए और फिर उच्चतर शिक्षा के कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति बनी और इसमें ऐसे परीक्षार्थी पिछड़ गए जो वर्ष भर पढ़ाई कर परीक्षा देते हैं और वह परीक्षार्थी आगे आ गए जो 2 दिन में परीक्षा पास होने के आदी रहे हैं।

कोचिंग संचालक करते हैं मनमानी

इस बारे में शिक्षा विशेषज्ञों का यह मानना है की परीक्षा के दौरान निजी कोचिंग संचालक काफी मनमानी करते हैं और छात्र-छात्राएं भी कोचिंग का फायदा उठाते हैं क्योंकि कोचिंग संचालक बना बनाया उत्तर ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं और वही उत्तर को पीडीएफ बनाकर छात्र-छात्राएं परीक्षा केंद्रों तक पहुंचा देते हैं और इस बात के परीक्षण की कोई व्यवस्था नहीं होती की उत्तर छात्र ने लिखा है या किसी कोचिंग संचालक के द्वारा तैयार किया गया है यह व्यवस्था एक चुनौती के सामने है।


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