वंचितों तथा गरीबों के लिए काम करें छात्र : वेंकैया
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने छात्रों से वंचितों तथा गरीबों के लिए काम करने की अपील की है

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने छात्रों से वंचितों तथा गरीबों के लिए काम करने की अपील की है, श्री नायडू ने केरल से आये छात्रों के एक समूह को संबोधित करते हुए मंगलवार को यहाँ कहा कि युवा पीढ़ी में अपने देशवासियों के संघर्ष और उनकी परेशानियों के प्रति संवेदना होना महत्त्वपूर्ण है। युवाओं में उनके लिए कुछ करने की लालसा होनी चाहिये।
ये छात्र केरल के मीडिया घराने मातृभूमि द्वारा आयोजित दौरे के तहत दिल्ली आये हुये हैं। इस दौरे का आयोजन महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती समारोह कार्यक्रम के तहत किया गया है।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से संवाद के दौरान सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक बदलावों के लिए शिक्षा के महत्त्व पर जोर दिया और छात्रों से सतत अध्ययन की आदत डालने की अपील की। उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया के अनुरूप छात्रों को नयी प्रौद्योगिकियों को अपनाना चाहिये।
जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के तेजी से फैलने पर चिंता व्यक्त करते हुये उन्होंने छात्रों को इनसे सावधान रहने के लिए कहा। उन्होंने छात्रों से अस्वास्थ्यकर खाना और शरीर को नुकसान पहुँचाने वाली नौकरियों के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने छात्रों से नियमित शारीरिक व्यायाम करने, योगाभ्यास और आउटडोर गतिविधियों के लिए समय निकालने और स्वस्थ रहने की अपीली की।
श्री नायडू ने छात्रों तथा युवा पीढ़ी को प्रकृति का आदर करने और प्रकृति के अनुरूप जीवन यापन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा “आपको यह ध्यान रखना चाहिये कि प्रकृति और संस्कृति साथ मिलकर मानवता की बेहतरी के लिए काम करती है।”
विविधता में एकता को देश की ताकत बताते हुये उपराष्ट्रपति ने छात्रों को देश के इतिहास का विस्तृत अध्ययन करने और भारतीय संस्कृति की विशिष्टता की बड़ाई करने की आदत डालने की सलाह दी। उन्होंने कहा “उन्हें देश की महान संस्कृति और अनादि कालीन परंपराओं के बारे में पता होना चाहिये तथा देश की आत्मा को मजबूती प्रदान करने के लिए काम करना चाहिये।”
पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की भारतीय सभ्यता को बेहद गौरवशाली बताते हुये श्री नायडू ने उम्मीद जतायी कि जलवायु परिवर्तन, सौर ऊर्जा और प्रकृति के संरक्षण के लिए हमारी प्रतिबद्धता छात्रों की शिक्षा और उन्हें वैश्विक नागरिक बनाने में प्रतिबिंबित होगी। उन्होंने छात्रों से घर पर सिर्फ मातृभाषा में बात करने की अपील की तथा कहा कि माँ, मातृभाषा, मातृभूमि, जन्म स्थान और गुरु को हमेशा प्रेम और आभार के साथ् याद करना चाहिए।


