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नासा के वैज्ञानिकों से मिले भारतीय स्कूलों के छात्र

पूर्वोत्तर भारत के स्कूलों के छात्रों का एक समूह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी के दौरे पर है

नासा के वैज्ञानिकों से मिले भारतीय स्कूलों के छात्र
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नई दिल्ली। पूर्वोत्तर भारत के स्कूलों के छात्रों का एक समूह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी के दौरे पर है। वहां छात्रों ने नासा के वैज्ञानिकों से मुलाकात की, बातचीत की। विज्ञान ज्योति नामक कार्यक्रम के दौरान छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे 3डी प्रिंटिंग, फ्लेक्सबल इलेक्ट्रॉनिक्स, डिजाइन, पॉलिमर, सोलर सेल्स आदि से परिचित कराया गया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा शुरू किए गए इस नए कार्यक्रम से युवा लड़कियों को विज्ञान में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह दिसंबर 2019 से 50 जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में सफलतापूर्वक चल रहा था और अब इसे 2021-22 के लिए 50 और जेएनवी में विस्तार किया गया है।

विज्ञान ज्योति गतिविधियों में छात्र-अभिभावक परामर्श, प्रयोगशालाओं और नॉलेज सेंट्रर की दौरा, रोल मॉडल से इन्टरैक्शन, विज्ञान शिविर, शैक्षणिक सहायता कक्षाएं, संसाधन सामग्री वितरण, और मरम्मत करने वाले गतिविधियां शामिल हैं। छात्रों को ऑनलाइन शैक्षणिक सहायता में वीडियो कक्षाएं, अध्ययन सामग्री, दैनिक अभ्यास में समस्याएं और संदेह समाधान सत्रों की स्ट्रीमिंग शामिल है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, भारत में एसटीईएम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कई सामाजिक और पुर्वग्रह बाधाओं के कारण प्रवेश-स्तर से उच्चतम स्तर तक सीमित है। वे प्रणालीगत बाधाओं और संरचनात्मक कारकों के कारण शैक्षणिक और प्रशासनिक सीढ़ी को आगे बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करती हैं।

मंत्रालय के मुताबिक, एसटीईएम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए डीएसटी की प्रतिबद्धता, युवा ज्योति कार्यक्रम के माध्यम से युवा और प्रतिभाशाली लड़कियों को अवसर मुहैया कराना और विज्ञान में उनकी रुचि को बढ़ावा देने से शुरू होता है। चुनौतियों के बावजूद महिलाओं के लिए एक माहौल बनाया जाता है।

जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंस्टीट्यूशंस (जीएटीआई) ने संस्थानों में लैंगिक संतुलन लाने के लिए प्रयास किया है, जो यूनिवर्सिटी ऑफ रिसर्च इनोवेशन एंड एक्सीलेंस इन वुमेन यूनिवर्सिटीज (सीयूआरआईई) ने भारत-अमेरिका फेलोशिप से केवल महिला विश्वविद्यालयों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने का लक्ष्य बनाया है। भारत-यू.एस. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (डब्लूआईएसटीईएमएम) में महिलाओं के लिए फैलोशिप महिलाओं को उनकी क्षमता और उत्साह को बढ़ाने के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों में अवसर प्रदान करता है।

जीएटीआई ने महिलाओं के प्रति अधिक समावेशी और संवेदनशील दृष्टिकोण में परिवर्तित करने और महिलाओं के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (एसटीईएमएम) क्षेत्र में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों से परामर्श के लिए शुरू किया गया था।

मंत्रालय ने कहा कि सीयूआरआईई कार्यक्रम के समर्थन से सीयूआरआईई समर्थित विश्वविद्यालयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी स्तरों पर छात्र नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इसने नेट, गेट योग्य छात्रों की संख्या में भी वृद्धि की है। बौद्धिक रूप से प्रभावशाली प्रयोगशालाओं की उपस्थिति के कारण भी बाहरी फंडिंग में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े प्रभावी जनरी का प्रकाशन हुआ है।

डीएसटी ने एआई नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए 6 सीयूआरआईई लाभार्थी विश्वविद्यालयों में एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रयोगशाला की स्थापना की है और भविष्य के लिए स्किल्ड मैनपवार तैयार करने के लिए एआई- अनुकूल बुनियादी ढांचा स्थापित किया है।

भारत-अमेरिका साइंडस एंड टेक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) के सहयोग से डब्लूआईएसटीईएमएम कार्यक्रम ने कई महिला वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्रदान किया है।

डीएसटी की विभिन्न महिला केंद्रित योजनाओं का उद्देश्य विभिन्न मैकेनिज्म के जरिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लैंगिक समानता लाना है। यह सभी क्षेत्रों और स्टेज की महिलाओं को एसटीईएम फील्ड में कैरियर को नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद करता है।


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