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परीक्षा रद्द होने पर छात्रों ने जताई खुशी, कहा : राज्य बोर्ड भी लें ऐसा ही फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में मंगलवार को सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया है

परीक्षा रद्द होने पर छात्रों ने जताई खुशी, कहा : राज्य बोर्ड भी लें ऐसा ही फैसला
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में मंगलवार को सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया है। इस फैसले के बाद देशभर के छात्रों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले पर खुशी और संतोष व्यक्त किया। छात्रों के साथ ही अभिभावकों ने भी इस फैसले को उचित ठहराया है। छात्रों का कहना है कि वे बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर चुके थे, लेकिन कोविड संक्रमण के इस दौर में परीक्षा केंद्रों तक जाकर नियमित रूप से परीक्षाएं देना अभी भी खतरे से खाली नहीं है।

गौरतलब है कि इस बार सीबीएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 14,30,247 स्टूडेंट्स को शामिल होना है।

गाजियाबाद के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली समृद्धि ने मंगलवार को लिए गए फैसले पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यह फैसला छात्रों के पक्ष में लिया गया है। उनके परिवार में फिलहाल दो परिजन कोरोना पॉजिटिव हैं। ऐसे में वह परीक्षा देने में सक्षम नहीं थी। समृद्धि ने कहा कि यह स्थिति सैकड़ों अन्य छात्रों के साथ भी होगी।

वहीं दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले देवांश श्रीवास्तव ने कहा, "इस निर्णय से सीबीएसई के लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों को राहत मिली है। हम परीक्षा की पूरी तैयारी कर चुके थे, बावजूद इसके परीक्षा केंद्रों में जाकर परीक्षा देना काफी चिंताजनक है।"

दिल्ली के राजकीय विद्यालय में पढ़ने वाली श्वेता ने कहा की 12वीं कक्षा के सभी बोर्ड को एक जैसा ही निर्णय लेना चाहिए। सभी राज्यों बोर्ड को इसी आधार पर बोर्ड परीक्षाएं रद्द करनी चाहिए और जिस आधार पर सीबीएसई अंकों की गणना करें, उसी आधार पर अन्य शिक्षा बोडरें को भी अंको की गणना करनी चाहिए, तभी 12वीं के बाद की जाने वाली वाली पढ़ाई अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं में सभी छात्रों को समान अवसर मिल सकेगा।

हरियाणा के करनाल में 12वीं के छात्र अभिमन्यु अत्री ने कहा कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का निर्णय छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को सभी को राहत प्रदान करने वाला वाला है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शहरों में कुछ बेहतर व्यवस्थाएं हो भी जाती, लेकिन ग्रामीण इलाकों जाती लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी लगातार घर से दूर परीक्षा देने जाना इतना आसान नहीं था।


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