गुमशुदा बच्चों की तलाश का पुरजोर प्रयास
रिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा के द्वारा गुमशुदा बच्चों की दस्तयाबी विशेष अभियान चलाकर आपरेषन तलाष के तहत पतासाजी करने बाबत दिषा निर्देष दिया गया था

खरसिया। पुलिस मुख्यालय रायपुर के पत्र क्रमांक पुमु/अअवि/गुम इंसान सेल/84/17 के अनुसार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार झा के द्वारा गुमशुदा बच्चों की दस्तयाबी विशेष अभियान चलाकर आपरेषन तलाष के तहत पतासाजी करने बाबत दिषा निर्देष दिया गया था,
जिस पर तत्काल कार्यवाही करते हुये थाना प्रभारी ने टीम गठित कर गुम बच्चों की पतासाजी हेतू प्रयास प्रारंभ कर दिया गया है। चौकी प्रभारी ने बताया कि कुमारी शोभा जाधव पिता बालाजी जाधव उम्र 15 वर्ष साकिन तेलीकोट फ्रेंडस कालोनी खरसिया जिला रायगढ़ (छ.ग.) रंग सांवली, चेहरा गोल उंचाई 5 फिट जामुनी सलवार हल्का पीला रंग की सूट पहनी है, नांक में बयां तरफ सोने की लौंग पहनी है एवं यह दूसरी कक्षा तक पढ़ी है हिन्दी छत्तीसगढ़ी भाषा बोल लेती है।
यह नि:षक्त बालिका 20 जून 2009 से अपने निवास स्थान से लापता है। जिस पर चौकी पुलिस ने अपराध क्रमांक 264/13 धारा 363 भा.द.वि. के तहत मामला पंजीबद्व कर पतासाजी शुरू कर दी है। वहीं संतोष श्रीवास पिता रामजी श्रीवास उम्र 10 वर्ष साकिन चंदन तालाब पार खरसिया जिला रायबढ़ रंग सावला, चेहरा गोल, उंचाई 4 फिट हल्का कत्था टी शर्ट और जींस का सफेद फुलपेंट पहना है।
लीलाट में पुराना खरोच का निषान एवं सिर में पुराना कटे घाव का निशान है और यह बालक बोल नही सकता है। यह बालक 26 सितम्बर 2013 से अपने निवास से लापता है जिस पर चौकी पुलिस ने अपराध क्रमांक 399/13 धारा 363 भ.द.वि. के तहत मामला दर्ज कर पतासाजी शुरू कर दी है एवं ओमप्रकाष सिदार पिता उम्रेन्द सिंह सिदार उम्र 15 वर्ष साकिन हमालारा खरसिया जिला रायगढ़ रंग सांवला चेहरा गोल उंचाई 4 फिट 1/2 इंच टी षर्ट तथा हा पेंट पहना है हिन्दी व छत्तीसगढ़ी बोल लेता है।
यह बालक 22 अगस्त 2013 से अपने निवास से लापता है। जिस पर पुलिस ने अपराध क्रमांक 357/13 धारा 363 भा.द.वि. के तहत पतासाजी शुरू कर दिया है। चौकी प्रभारी सी.एम. मालाकार ने अपील की है कि किसी को भी उपरोक्त में से किसी के संबंध में कोई भी जानकारी मिलने तो पुलिस अधीक्षक रायगढ़ मो. नं. 9479193200, कन्ट्रोल रूम रायगढ़ मो. नं. 9479193299, पुलिस चौकी खरसिया मो. नं. 9479193228 के नंबरों में सूचना दें ।
ताकि गुमषुदा/ अपहृत बच्चों को उनके परिजनो से मिलवाकर आपरेषन तलाष को सफल बनाया जा सके।


