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जेएनयू हिंसा के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए : अमरिंदर

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर कल रात हमले की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों के राजनीतिक जुड़ाव या विचारधारा की परवाह किए बिना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए

जेएनयू हिंसा के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए : अमरिंदर
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चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों पर कल रात हमले की निंदा करते हुए आज कहा कि दोषियों के राजनीतिक जुड़ाव या विचारधारा की परवाह किए बिना उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से एक-दूसरे पर दोषारोपण बंद करने और विश्वविद्यालय में कानून व्यवस्था की वापसी सुनिश्चित करने की मांग भी की।

मुख्यमंत्री ने यहां जारी बयान में कहा कि हाल के समय में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय और अब जेएनयू में हमलों और झड़पों से न सिर्फ देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि ख्राब हो रही है, देश की शिक्षा व्यवस्था को भी ऐसा नुकसान पहुंच रहा है जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी जबकि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मुख्य आधार होती है।

उन्होंने हिंसा के लिए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि छात्रों पर ऐसे हमलों की स्वतंत्र भारत में और कोई मिसाल नहं है। उन्होंने पूछा, “जब विश्वविद्यालय परिसर में सशस्त्र गुंडे उपद्रव मचा रहे थे, छात्रों और शिक्षकों पर बर्बर हमले कर रहे थे, दिल्ली पुलिस कहां थी?“ उन्होंने जानना चाहा कि कुछ दिन पहले जामिया में विश्वविद्यालय में घुसकर कार्रवाई करने वाली पुलिस जेएनयू मामले में मूक दर्शक कैसे बनी रही? और वह किसके आदेशों पर ऐसा कर रही थी।

कैप्टन अमरिंदर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस बात को लेकर आलोचना की कि घटना के समय वह जेएनयू के आसपास क्यों नहीं दिखे? उन्होंने कहा कि क्या सिर्फ ट्वीट करना काफी है? एक मुख्यमंत्री होने के नाते और जो व्यक्ति दिल्ली के नागरिकों का संरक्षक होने का दावा करता है, उसने निजी रूप से हस्तक्षेप क्यों नहीं किया?“

उन्होंने कहा कि कल रात की घटना ने भारत के परिपक्व लोकतंत्र होने के दावों का मजाक बना दिया है और दिल्ली वासियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हर संस्था विफल रही।

घटना का उच्चतम न्यायालय स्वत:स्फूर्त संज्ञान लेने की मांग का अनुमोदन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वनियोजित लग रहे इस हमले के न सिर्फ हमलावरों की शिनाख्त करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है बल्कि इस हमले को होने देने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी। यदि देश की राजधानी में इस प्रकार की घटना घटती है और दोषियों को सजा नहीं दी जाती तो कल्पना कीजिये देश के अन्य हिस्सों के शैक्षणिक संस्थानों में क्या-क्या नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान में छात्रों पर हमला देश के लिए ठीक नहीं है और यदि ऐसी घटनाओं को रोका नहीं गया तो लोकतंत्र के वैश्विक प्रतीक और लोकतंत्र के रखवाले देश का हास होगा। उन्होंने पूछा, “क्या इस राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानियां दी थीं?“

मुख्यमंत्री ने समविचारी लोगों से अपील की कि उन ताकतों के खिलाफ लड़ें जो एकता, सद्भावना और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांतो पर बने देश के प्रगतिशील और उदार लोकतंत्र के दर्जे को तहस-नहस करने पर तुली हुई हैं।


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